पाक़ीज़ा वाक्य
उच्चारण: [ paakeija ]
उदाहरण वाक्य
- फ़िल्म ' पाक़ीज़ा ' के बनने में इतने ज़्यादा समय लग गए (करीब १ ४ साल) कि ग़ुलाम साहब के देहान्त के बाद नौशाद साहब ने फ़िल्म का संगीत पूरा किया और फ़िल्म के ' बैकग्राउंड म्युज़िक ' भी तैयार किए।
- बताइये कौन सा गीत है यह? (4 अंक) 2. “ इन्ही लोगों ने ले ली ना दुपट्टा मेरा ”, फ़िल्म ' पाक़ीज़ा ' का यह मशहूर गीत, हर किसी को पता है, हर कोई सुन चुका है।
- पाक़ीज़ा ट्रैजेडी क्वीन मीना कुमारी मार्कण्ड दवे बॉक्स ऑफ़िस तलाक़ परिकल्पना सम्मान हेतु चयनित ब्लॉगरों की सूची बात उन दिनों की है जब फेसबूक, ट्यूटर जैसे सोशल नेटवर्किंग के आकर्षण मे आवद्ध होकर ब्लॉगरों की ब्लॉग पर सहभागिता कुछ कम होने लगी थी ।
- उनके अभिनय से सजी ‘ बहू बेग़म ', ‘ चित्रलेखा ', ‘ फूल और पत्थर ', ‘ काजल ', ‘ पाक़ीज़ा ' और न जाने कितनी ऐसी यादगार फ़िल्में हैं जिन्हे मीना जी के अभिनय ने चार चाँद लगा दिए हैं।
- फिर भी, भूत-पूर्व पति कमाल अमरोही का, अभी भी जैसे कोई ऋण अदा करना बाक़ी रह गया हो, मीनाकुमारीजी ने, आज भी फ्रेश और क्लासिक फिल्मोमें गिनी जानेवाली, श्रीकमाल अमरोहीजी की कमाल फिल्म ` पाक़ीज़ा ` में आख़री बार अपनी जान डालकर फिर से ला-जवाब अभिनय किया ।
- और पाक़ीज़ा कलाम से मुराद कलिमए तौहीद व तस्बीह और तहमीद व तकबीर वग़ैरह हैं जैसा कि हाकिम और बेहिक़ी ने रिवायत किया और हज़रत इब्ने अब्बास रदियल्लाहो अन्हुमा ने कलिमए तैय्यिबह की तफ़सीर ज़िक्र से फ़रमाई और कुछ मुफ़स्सिरों ने क़ुरआन और दुआ भी मुराद ली है.
- अन्नपूर्णाजी...मीनाजी पर एकाग्र भूले बिसरे गीत में उनके इंतक़ाल का ज़िक्र भी होना था....वह था १९७२ तारीख़ तो आज की ही यानी ३१ मार्च...इससे बस कुछेक दिन पहले पाक़ीज़ा रिलीज़ हुई थी और तारीख़ थी ४ फ़रवरी १९७२..यानी फ़िल्म जारी होने के चंद दिनों बाद मीना आपा चलीं गईं.
- फिर भी, भूत-पूर्व पति कमाल अमरोही का, अभी भी जैसे कोई ऋण अदा करना बाक़ी रह गया हो, मीनाकुमारीजी ने, आज भी फ्रेश और क्लासिक फिल्मोमें गिनी जानेवाली, श्रीकमाल अमरोहीजी की कमाल फिल्म ` पाक़ीज़ा ` में आख़री बार अपनी जान डालकर फिर से ला-जवाब अभिनय किया ।
- इसी लिए इमाम (अ. स.) पैग़म्बरे इस्लाम (स.) की छोड़ी हुई मिरास के मुहाफिज़ (रक्षा करने वाले), कुरआने करीम के सच्चे मुफ़स्सिर और उस के सही मअना बयान करने वाले हैं, ताकि अल्लाह का दीन स्वार्थी दुशमनों के द्वारा तहरीफ (परिवर्तन) का शिकार न हो और यह पाक व पाक़ीज़ा दीन क़ियामत तक बाकी रहे।
- इसी लिए इमाम (अ. स.) पैग़म्बरे इस्लाम (स.) की छोड़ी हुई मिरास के मुहाफिज़ (रक्षा करने वाले), कुरआने करीम के सच्चे मुफ़स्सिर और उस के सही मअना बयान करने वाले हैं, ताकि अल्लाह का दीन स्वार्थी दुशमनों के द्वारा तहरीफ (परिवर्तन) का शिकार न हो और यह पाक व पाक़ीज़ा दीन क़ियामत तक बाकी रहे।