प्रतीत्यसमुत्पाद वाक्य
उच्चारण: [ pertiteysemutepaad ]
उदाहरण वाक्य
- = > बौद्ध धर्मग्रंथ: बौद्ध धर्म के मूल तत्व है-चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएँ, अनात्मवाद और निर्वाण।
- * यह चतुष्कोटिक उत्पाद की अनुपत्ति भी प्रतीत्यसमुत्पाद से ही सिद्ध होती है, क्योंकि वस्तुओं की अहेतुक, ईश्वर, प्रकृति, काल आदि विषमहेतुक तथा स्वत:, परत: एवं उभयत: उत्पत्ति उनके प्रतीयसमुत्पन्न होने से सम्भव नहीं हो पाती।
- उपनिषदों के सम्यक विवेचन के पश्चात हम कहने कि स्थति में है कि आदि आर्योंसे नितांत भिन्न नयी भौतिक परिस्थितियों के अंतर्गत पनपरही शासकीय शक्तियोंके संरक्षण में उपनिषदों के ऋषि जिस आत्मवादीधारणा की ओर उन्मुख हो रहेथे, उसके विपरीत बौद्धों के प्रारंभिकप्रयत्न अपने प्रतीत्यसमुत्पाद केसाथ अनात्म की घोषणा में क्रांतिकारीप्रतीत हों, यह स्वाभाविक था.
- मातिकानुसार इन धर्मों की संख्या 125 है जो इस प्रकार हैं-5 स्कंध, 12 आयतन, 18 धातुएँ, 4 सत्य, 22 इंद्रियाँ, 12 प्रतीत्यसमुत्पाद, 4 स्मृतिप्रस्थान, 4 सम्यक् प्रधान, 4 ऋद्धिपाद, 4 ध्यान, 4 अपरिमाण, 5 इंद्रियाँ, 5 बल, 7 बोध्यंग, 8 आर्यमार्ग के अंग तथा स्पर्श, वेदना, संज्ञा, चेतना, चित्त और अधिमोक्ष।