प्रबुद्ध भारत वाक्य
उच्चारण: [ perbudedh bhaaret ]
उदाहरण वाक्य
- स्कूल की प्रार्थनासभा के लिए स्वामी विवेकानंदजी पर सामग्री तलाश करते हुए उनकी लिखी एक कविता हाथ आयी, जो उन्होंने सन १८९८ में प्रबुद्ध भारत पत्रिका के मद्रास से स्वामीजी द्वारा स्थापित भ्रात्रमंडल के हाथों में अलमोधा को स्थान्तरित होने के अवसर पर लिखी थी।...
- सन 19 52 में रंगून में संपन्न ' विश्व बौद्ध सम्मेलन ' से लौट कर आने के बाद बाबा साहेब ने अपने इस पत्र ' जनता ' का नाम बदलकर ' प्रबुद्ध भारत ' और प्रिंटिंग प्रेस का नाम ' बुद्ध भूषण प्रिंटिंग प्रेस ' रख लिया था.
- “ भारत जागो विश्व जगाओ ” के विचार को ध्यान में रखते हुए समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहंुचने की अनूठी योजना बनाई गई है जिसमे समाज को 5 भागो में विभाजित कर इसके 5 आयाम यथा युवाशक्ति, सम्वर्धिनी, प्रबुद्ध भारत, ग्रामायण और अस्मिता स्थापित किये गए है।
- चाहे वह ‘ मूकनायक ', ‘ प्रबुद्ध भारत ' ' बहिष्कृत भारत ' या ‘ जनता ' हो, उन्होंने विभिन्न स्तरों पर अपने विचारों को सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया और दलितों के लिए लेखन का मार्ग प्रशस्त किया, जिसे आज नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता है.
- Protected: सम्राट अशोक के समय अखंड प्रबुद्ध भारत का साम्राज्य दुनिका सबसे बड़ा साम्राज्य होने के साथ शक्तिशाली और दुनिया में सबसे अमीर था, अपने शासन के दौरान जनकल्याण योजनाओं, व्यापार और राजनीतिक सबंध को बढाकर सम्राट अशोक ने बुद्ध केसयुक्त जीविकोपार्जन की सामाजिक-आर्थिक नीतियों को दुनिया के शासको के सामने अनूठा उदाहरण प्रदान किया है।
- भारत सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, इस मिशन को भले ही गंम्भीरतापूर्ण ना ले लेकिन इस मिशन से सभी समुदाय के हर वर्ग तक बुद्ध की शिक्षा, चारित्र्यवान प्रबुद्ध भारत के वैभव और एश्वर्य की जानकारी पहुंच जायेंगी और यह जनशक्ति वर्त्तमान भारत को चारित्र्यवान प्रबुद्ध भारत के निर्माण की ओर ले जाने का पहला कदम होंगा!
- भारत सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, इस मिशन को भले ही गंम्भीरतापूर्ण ना ले लेकिन इस मिशन से सभी समुदाय के हर वर्ग तक बुद्ध की शिक्षा, चारित्र्यवान प्रबुद्ध भारत के वैभव और एश्वर्य की जानकारी पहुंच जायेंगी और यह जनशक्ति वर्त्तमान भारत को चारित्र्यवान प्रबुद्ध भारत के निर्माण की ओर ले जाने का पहला कदम होंगा!
- जिस शिक्षा को संविधान में लोकतांत्रिक, समतामूलक, न्यायशील, धर्मनिरपेक्ष और प्रबुद्ध भारत के निर्माण के जरिए के रूप में देखा गया है उसी को आज समाज को बांटने, भेदभाव बढ़ाने, 80 फीसदी से अधिक जनता को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित करने और वैश्विक बाजार के लिए बाजारपक्षी मूल्यों से सिंचित गुलाम कामगारों की फौज खड़ा करने का साधन बना दिया है।
- जिसमें प्रथम आयाम “ युवा शक्ति ‘‘ (युवाओं का आयाम), दूसरा आयाम ‘‘ संवर्धिनी '' (महिलाओं का आयाम), तीसरा आयाम ‘‘ ग्रामायण '' (ग्रामीण जनो का आयाम), चैथा आयाम ‘‘ अस्मिता '' (जनजातियो का आयाम) एवं पाचवाॅं आयाम ‘‘ प्रबुद्ध भारत ” (समाजिक व वैचारिक नेत्रित्व का आयाम) ।
- जिस शिक्षा को संविधान में लोकतांत्रिक, समतामूलक, न्यायशील, धर्मनिरपेक्ष और प्रबुद्ध भारत के निर्माण के जरिए के रूप में देखा गया है उसी को आज समाज को बांटने, भेदभाव बढ़ाने, 80 फीसदी से अधिक जनता को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित करने और वैश्विक बाजार के लिए बाजारपक्षी मूल्यों से सिंचित गुलाम कामगारों की फौज खड़ा करने का साधन बना दिया है।