प्राच्यवाद वाक्य
उच्चारण: [ peraacheyvaad ]
उदाहरण वाक्य
- ‘‘ (ना. सिं.) रामविलास जी का यह कैसा आक्रामक प्राच्यवाद है जिसके मूल प्रेरणास्त्रोत अर्थात आर्य इतने अनाक्रमक हैं कि ‘‘ अश्वों के लिए प्रसिद्ध आर्यों की दुनिया में दिग्विजय के अश्व हिनहिनाते दिखें।
- अपनी किताब के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए वे लिखते हैं ' ' मेरी यह मौलिक अवधारणा है कि प्राच्यवाद पश्चिम की एक राजनितिक विचारधारा है, जो पूर्व की कमजोरी के कारण पश्चिम ने उस पर लाद दी ।
- कहीं सीधे-सीधे ही उन्हें वर्णव्यवस्था का पोषक, प्रच्छन्न हिंदुत्ववादी, अंधराष्ट्रवादी प्राच्यवाद का प्रचारक अथवा फंडामेंटलिस्ट कहा गया है, तो कहीं यही बातें आरोपों की शक्ल में नहीं बल्कि इशारतनकही गई हैं जिसे अंग्रेजी में Insinuation कहते हैं।
- ओरियंटलिज़्म माने प्राच्यवाद माने पच्छिम के प्राच्यविदो द्वारा पूरब को दिखाया गया आइना ।प्राच्यविद । ध्यान दीजिये “प्राच्यविद “।तो जब हमने बात की थी रसोई नष्ट करने की मतलब सिर्फ यह था कि इस मुद्दे पर क्रांति की ज़रूरत है ।
- रामविलास शर्मा पर प्राच्यवाद के संस्कारों को रेखांकित करने वाले आलोचकों का दायित्व बनता था कि वे यह दिखलाते कि प्राच्यवाद की भयानक फासिस्ट और सांप्रदायिक साम्राज्यवादी परिणतियों के खिलाफ रामविलास शर्मा को समझौताविहीन ढंग से खड़ा करने वाला तत्व क्या है।
- रामविलास शर्मा पर प्राच्यवाद के संस्कारों को रेखांकित करने वाले आलोचकों का दायित्व बनता था कि वे यह दिखलाते कि प्राच्यवाद की भयानक फासिस्ट और सांप्रदायिक साम्राज्यवादी परिणतियों के खिलाफ रामविलास शर्मा को समझौताविहीन ढंग से खड़ा करने वाला तत्व क्या है।
- लेकिन, स्वदेशी युग के अंतिम दौर में इनमें से सबसे पहले रवीन्द्रनाथ ने ही उग्र प्राच्यवाद और उसके साथ ही हिन्दूपन के खिलाफ लड़ाई की जरूरत का आहृान करते हुए कहा कि “ पश्चिम के साथ पूरब को मिलना ही होगा।
- विश् वविख् यात पुस्तक ' ओरियंटलिज्म ` (प्राच्यवाद) के लेखक एडवर्ड सईद (१ नवंबर, १ ९ ३ ५-२ ५ सिंतबर, २ ०० ३) लंबे समय तक कोलम्बिया विश्वविद्यालय में अंग्रेजी भाषा और तुलनात्मक साहित्य के प्रोफेसर रहे।
- अन्धराष्ट्रवादी प्राच्यवाद ' है जो नस्लीय श्रेष्ठता और रक्त शुद्धता के उस मूलभूत विचार को ही पंगु बना देता है जिसके बगैर किसी भी जर्मन, इटैलियन अथवा भारतीय फासिस्ट के लिए आर्यों का मूलस्थान उनके देश में होना सारहीन अन्तर्वस्तु रहित तथ्य मात्र रह जाता है।
- मगर इन दोनों विपरीत ध्रुवों के बीच कहीं विमर्श यहां तक आकर क्यूं नहीं ठहरता है कि अगर एडवर्ड सईद की किताब प्राच्यवाद की बहुत सारी बातें विचारणीय हो सकती है तो सैम्युअल हटिंगटन की सभ्यताओं के संघर्ष की तमाम स्थापनाओं को भी यकबारगी झुठलाया नहीं जा सकता है।