बंग महिला वाक्य
उच्चारण: [ benga mhilaa ]
उदाहरण वाक्य
- बंग महिला द्वारा साहित्य लेखन को इस कारण से भी महत्वपूर्ण माना जा सकता है कि इस समय गोपालदास गहमरी और देवकीनन्दन खत्री जैसे स्थापित पुरुष साहित्यकार साहित्य-सर्जना कर रहे थे वहाँ बंग महिला ने नारी-सुधार जैसे विषय को केन्द्र बना कर लिखी कहानी से स्त्री चेतना और सशक्तीकरण की दिशा तय की।
- आरम्भिक कहानियों के संदर्भ में मौलिकता और कलात्मक का सवाल जरूर उठाया जा सकता है लेकिन प्रेमचंद के हिन्दी में आने के पूर्व यानी १ ९ १ ६ से पहले ही हिन्दी में प्रसाद की अनेक महत्त्वपूर्ण कहानियों के साथ ही माधवराव सप्रे, बंग महिला, चंद्रधर शर्मा गुलेरी आदि की कहानियाँ आ चुकी थीं।
- (सन् 1803 या सन् 1808), राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद की 'राजा भोज का सपना' (19 वीं सदी का उत्तरार्द्ध), किशोरी लाल गोस्वामी की 'इन्दुमती' (सन् 1900), माधवराव सप्रे की 'एक टोकरी भर मिट्टी' (सन् 1901), आचार्य रामचंद्र शुक्ल की 'ग्यारह वर्ष का समय' (सन् 1903) और बंग महिला की 'दुलाई वाली' (सन् 1907) नामक कहानियाँ आती हैं.
- अभिव्यक्ति में आप देखिये कि १ ९ ०० में माधवराव सप्रे की कहानी आई, ' टोकरी भर मिट्टी ‘ और उसके ठीक बाद १ ९ ० ७ में स्त्री की अभिव्यक्ति बंग महिला राजेन्द्रबाला घोष ने की, तो कहने का तात्पर्य यह है कि स्त्री को भी ये लगने लगा था कि कहीं-न-कहीं उसे अपनी आत्म-चेतना की अभिव्यक्ति दर्ज करानी है।
- हिन्दी साहित्य के अध्ययन-अध्यापन की जो परिपाटी हमारे विश्वविद्यालयों में चली आ रही है, जिसकी लगातार आलोचना भी होती रही है, उसका परिदृश्य कुछ ऐसा है कि मानो बंग महिला के बाद हिन्दी गद्य सहित्य के विस्तार में शिवरानी देवी, सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा जैसी एक-दो लेखिकाओं के अतिरिक्त मानो स्त्री लेखकों का अभाव और अकाल है और उनका वास्तविक आगमन आजादी के बाद के दौर में ही होता है.
- ' पंडित किशोरीलाल गोस्वामी ' के प्रथम कहानी ' इंदुमती ' को मौलिक कहानी का दर्जा दिया गया है. तत्पश्चात ' गोस्वामी ' जी की ही ' गुलबहार ', ' मास्टर भगवानदास ' का ' प्लेग की चुड़ैल ', रामचंद्र शुक्ल ' का ' ग्यारह वर्ष का समय ', पंडित गिरजादत्त वाजपेयी ' का ' पंडित और पंडितानी ' और ' बंग महिला ' की ' दुलाईवाली ' कहानिया एक-एक करके प्रकाशन में आई. इसके आलावा भी बहुत सी उंदा कहानियां लिखीं गयी और प्रकाशित हु ई.