बंधे हाथ वाक्य
उच्चारण: [ bendh haath ]
उदाहरण वाक्य
- इन्हें क्या जवाब दें? प्लास्टर बंधे हाथ को देख कर भी कोई पूछे कि फ्रैक्चर हो गया क्या? आप क्या कहेंगे....शौकिया बाँध रखा है, या घर में बासन मांजने से छुट्टी पाने का यही बेहतर जरिया बचा है, या ऐसा ही कुछ न? ऎंवेंईं जिज्ञासाओं के ऎंवेंईं समाधान..
- इन्हें क्या जवाब दें? प्लास्टर बंधे हाथ को देख कर भी कोई पूछे कि फ्रैक्चर हो गया क्या? आप क्या कहेंगे….शौकिया बाँध रखा है, या घर में बासन मांजने से छुट्टी पाने का यही बेहतर जरिया बचा है, या ऐसा ही कुछ न? ऎंवेंईं जिज्ञासाओं के ऎंवेंईं समाधान..
- इन्हें क्या जवाब दें? प्लास्टर बंधे हाथ को देख कर भी कोई पूछे कि फ्रैक्चर हो गया क्या? आप क्या कहेंगे.... शौकिया बाँध रखा है, या घर में बासन मांजने से छुट्टी पाने का यही बेहतर जरिया बचा है, या ऐसा ही कुछ न? ऎंवेंईं जिज्ञासाओं के ऎंवेंईं समाधा न..
- देश के प्रत्येक राज्य की पुलिस व देश की सेना में अब भी दमखम है कि यदि राजनेता मुस्लिम तुष्टीकरण की अपनी राजनीति छोड कर सुरक्षाबलों के बंधे हाथ खोल दें तो महीने भर में नहीं अपितु ज्यादा से ज्याद एक सप्ताह में ही देश के प्रत्येंक कोने में फैले आतंकवादी चूहे की तरह बिल में घुसते हुए नजर आएंगे ।
- देश के प्रत्येक राज्य की पुलिस व देश की सेना में अब भी दमखम है कि यदि राजनेता मुस्लिम तुष्टीकरण की अपनी राजनीति छोड कर सुरक्षाबलों के बंधे हाथ खोल दें तो महीने भर में नहीं अपितु ज्यादा से ज्याद एक सप्ताह में ही देश के प्रत्येंक कोने में फैले आतंकवादी चूहे की तरह बिल में घुसते हुए नजर आएंगे ।
- इक अजीब सा इदराक लिए आँखों में-वो तकता है मेरी शख्सियत, आईना कोई आदमक़द कर जाए मजरूह अन्दर तक, उसकी मासूम नज़र में हैं न जाने कैसी कशिश, अपने आप उठ जाते हैं दुआओं के लिए बंधे हाथ, कोई अमीक़ फ़लसफ़ा नहीं यहाँ पर, उन नमनाक आँखों में अक्सर दिखाई देती है ज़िन्दगी अपनी …
- कमी है तो बस एक चीज की कि उदारता, कानून का कड़ा न होना, मुक्त समाज-व्यवस्था, सामाजिक पारिवारिक टूटन के चलते नई पीढ़ी के साथ जुड़ी विसंगतियाँ, आर्थिक व संसाधनात्मक लाभ लेने वालों की भरमार, ऊपर से उनके हित में बने कानून के चलते सरकार के बंधे हाथ, उस से सरकार व उन वर्गों के प्रति उपजता विद्रोह....
- आजादी में सांस लेने वालों के अंदाजे-बयां कुछ और होता है उनकी गुलामी से अपने अपने को मत तोल सौदागर हो तो बाजार में करो सौदा गलियों से हो जा गोल बुलंद आवाज नहीं हो सकती गुलामी में बहुत जल्दी थकती अपनी सोच की गुलामी को कब तक छिपाओगे दूसरे की भाषा बोलते जाओगे जंजीरे साफ नजर आ जाती हैं गुलामों के बंधे हाथ देख जंजीरों से खुल जायेगी पोल …………………………….
- इक अजीब सा इदराक लिए आँखों में-वो तकता है मेरी शख्सियत, आईना कोई आदमक़द कर जाए मजरूह अन्दर तक, उसकी मासूम नज़र में हैं न जाने कैसी कशिश, अपने आप उठ जाते हैं दुआओं के लिए बंधे हाथ, कोई अमीक़ फ़लसफ़ा नहीं यहाँ पर, उन नमनाक आँखों में अक्सर दिखाई देती है ज़िन्दगी अपनी, चाह कर भी उसे नजरअंदाज़ करना है मुश्किल, वो अहसास जो मुझे ले जाती है बहोत (बहुत) दूर, ईंट पत्थरों से बने...........