बर्बर लोगों वाक्य
उच्चारण: [ berber logaon ]
उदाहरण वाक्य
- न्यायालय का मानना है कि ‘‘ इन हत्याओं में किसी भी मायने में मान-सम्मान जैसी कोई बात नहीं और वास्तव में यह सामन्ती सोच वाले बर्बर लोगों द्वारा की गयी हत्या की कार्रवाई के सिवा कुछ नहीं, जिन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए।
- यह समाज कैसे मनुष्य पैदा करता था यह इस से पता लगता है कि जो गोरे लोग इंडियनों के सम्पर्क में आए और जो भ्रष्ट नहीं हुए थे उन्हों ने इन बर्बर लोगों की आत्मगरिमा, सीधे-सरल स्वभाव, चरित्र बल और वीरता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
- 2007-05-10T20: 18:59+00:00 text/plain hi BBCHindi.com http://www.bbc.co.uk/hindi/ Story, Regional News no title'भारतीयों की छवि बर्बर लोगों जैसी बन गई थी' http://www.bbc.co.uk/go/wsy/pub/rss/1.0/-/hindi/regionalnews/story/2007/05/070510_1857_dalrymple_europe.shtml इतिहासकार विलियम डेलरिंपल बताते हैं कि ब्रिटेन के लोगों को 1857 के बारे में जो बताया गया उससे भारतीयों की छवि बर्बर लोगों जैसी बन गई थी.
- 2007-05-10T20: 18:59+00:00 text/plain hi BBCHindi.com http://www.bbc.co.uk/hindi/ Story, Regional News no title'भारतीयों की छवि बर्बर लोगों जैसी बन गई थी' http://www.bbc.co.uk/go/wsy/pub/rss/1.0/-/hindi/regionalnews/story/2007/05/070510_1857_dalrymple_europe.shtml इतिहासकार विलियम डेलरिंपल बताते हैं कि ब्रिटेन के लोगों को 1857 के बारे में जो बताया गया उससे भारतीयों की छवि बर्बर लोगों जैसी बन गई थी.
- भारतवासियों ने पहले ही दिन से ' दीन' के बन्दों के 'ईमान' में मल्लेछ प्रवृत्ति वाले असुरों की झलक को साफ़-साफ़ देख लिया था तथा उस पहले ही दिन से भारत के लोगों ने उन क्रूर आक्रान्ताओं और बर्बर लोगों से घृणा करना शुरू कर दिया था।
- भारतवासियों ने पहले ही दिन से ' दीन' के बन्दों के 'ईमान' में मल्लेछ प्रवृत्ति वाले असुरों की झलक को साफ़-साफ़ देख लिया था तथा उस पहले ही दिन से भारत के लोगों ने उन क्रूर आक्रान्ताओं और बर्बर लोगों से घृणा करना शुरू कर दिया था.
- यह समाज कैसे मनुष्य पैदा करता था यह इस से पता लगता है कि जो गोरे लोग इंडियनों के सम्पर्क में आए और जो भ्रष्ट नहीं हुए थे उन्हों ने इन बर्बर लोगों की आत्मगरिमा, सीधे-सरल स्वभाव, चरित्र बल और वीरता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
- उन्होंने मुगल काल में बर्बर लोगों द्वारा अशोभनीय तरीके से तलवार के बल पर भारतीय लेखनी व मनीषा के विनाश व संक्रांति काल का लाभ उठाकर, स्वयं भारतीय तत्व भाव-तलवार के साथ-साथ कलम की उपयोगिता का उपयोग उसी के विरुद्ध करके तलवार व कलम दोनों का प्रयोग
- न कि सिर्फ बर्बर लोगों के बाद और उनसे जंगल में उत्पन्न हुई अशांति और आतंक से बचाने पहुँची प्रजातांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ ही प्रश्न उठाते हैं, आखिर ये गांधीवादी डरते क्यों हैं हिंसक और जंगली लोगों से? जो उनकी बर्बरता और फासीस्टवादी रवैयों के खिलाफ नहीं बोलते?