बहुत दिन बीते वाक्य
उच्चारण: [ bhut din bit ]
उदाहरण वाक्य
- शक्ति क़ी प्रतिनिधि जननी-माँ को समर्पित अब्दुला दीवाना बहुत दिन बीते मैं नींद में खोई थी ना जागी थी और ना मैं सोई थी कितनों को देखा मैंने, पलकों के अधर तले पर ना पाया मैंने अपने जो संग चले बहुत दिन बीते मैं खील-खील हो रोई थी न जाने किस बगिया में सोई थी
- तेरी यादें... बहुत दिन बीते जलावतन हुई जियीं की मरी-कुछ पता नही | सिर्फ़ एक बार-एक घटना घटी ख्यालों की रात बड़ी गहरी थी और इतनी स्तब्ध थी कि पत्ता भी हिले तो बरसों के कान चौंकते | फ़िर तीन बार लगा जैसे कोई छाती का द्वार खटखटाता और दबे पांव छत पर...
- तेरा हार (1932) मधुशाला (1935) मधुबाला (1936) मधुकलश (1937) निशा निमंत्रण (1938) एकांत संगीत (1939) आकुल अंतर (1943) सतरंगिनी (1945) हलाहल (1946) बंगाल का काव्य (1946) खादी के फूल (1948) सूत की माला (1948) मिलन यामिनी (1950) प्रणय पत्रिका (1955) धार के इधर उधर (1957) आरती और अंगारे (1958) बुद्ध और नाचघर (1958) त्रिभंगिमा (1961) चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962) दो चट्टानें (1965) बहुत दिन बीते (1967)
- कठपुतली बाज़ार में सजी थी ख़ुश, प्रस्तुत कि कोई ख़रीदार आए, ले जाए उसके तन-बँधे डोरे झटके हँसा, रुला उसको रिझा, नचाए मन मज़ र्ी चलाए ले गया कोई गुलाबी साफ़ा उसे कठपुतली खुश-खुश नाचती ख़रीदार की भ्रू-भंगिमा देख के अपना तन तोड़ती-मरोड़ती थिरकती थी बल खा-खा जाती थी ऐसा करते बहुत दिन बीते जोड़ …