बीकानेर रियासत वाक्य
उच्चारण: [ bikaaner riyaaset ]
उदाहरण वाक्य
- तत्कालीन बीकानेर रियासत के मलकीसर गाँव में 1931 के दिसंबर माह के अंतिम दिन जन्मे महबूब अली, जिन्हें सभी प्यार से महबूब साहब कह कर पुकारते थे, जमीन से उठे ऐसे नेता थे जिन्हें काजल भरी सत्ता की कोठरी भी अपने रंग में नहीं रंग पाई।
- धरती पुत्र: जाट बौधिक एवं प्रतिभा सम्मान समारोह, साहवा, स्मारिका दिनांक 30 दिसंबर 2012 ', पेज 8-10 / ref > ने अनुसन्धान किया है और लिखा है कि पाउलेट तथा अन्य लेखकों ने इस हाकडा नदी के बेल्ट में निम्नानुसार जाटों के जनपदीय शासन का उल्लेख किया है जो बीकानेर रियासत की स्थापना के समय था।
- महापंडित श्याम पांडिया के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने हेतु अपने बीकानेर प्रवास में लेखक श्री दीनानाथ पारीक वहां के तत्कालीन विधायक श्री रावतमाल जी पारीक से मिले तो उन्होंने अपने पिताजी द्वारा वर्णित उपरोक्त जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि सर्वस्व त्यागी तपोनिष्ठ सिद्ध पुरुष श्याम पांडिया का जन्म पारीक ब्राह्मणों की पांडिया शाखा में तत्कालीन बीकानेर रियासत के चूरू जिला की तारानगर तहसील के मदास गांव में करीब 300 वर्ष पूर्व हुआ था।
- इस प्रदर्शनी में अंग्रेजों से विद्रोह के समय बीकानेर रियासत के सूरतगढ़ परगने के खेड़ (सेना) का व्यय का विवरण, अंग्रेजों की सहायता नहीं करने पर गांव के जागीरदारों की संपत्ति जप्त करने के आदेश, मारवाड़ में दंगा-फसाद, विद्रोहियों व अधिकारियों में मुठभेड़, हिंदू-मुसलमान कर्मचारियों का अंग्रेजों से नाराज होकर विद्रोही होना, अंग्रेज विरोधियों का आऊवा से रवाना होकर दिल्ली जाना, आऊवा के ठाकुर खुशालसिंह, बीकानेर आए तांत्या टोपे आदि के सचित्र दस्तावेज लगाए गए हैं।
- आमेर-जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा आयोजित अश्वमेध यज्ञ की सफलता, जब देश विदेश से आमंत्रित दिग्गजातिदिग्गज पंडितों-याज्ञिकों की उपस्थिति के बावजूद संदिग्ध हो गई और महाराजा सवाई जयसिंह, जो स्वयं एक विश्वप्रसिद्ध ज्योतिषि एवं विद्वान थे, अत्यन्त चिंतित व निराश होने लगे तो जानकार लोगों ने यज्ञ भूमि के शोधन, पूजन या वेदी निर्माण में दोष की आशंका प्रकट करते हुए महाराज को बीकानेर रियासत से सिद्ध पुरुष महा पंडित श्याम पांडिया को बुलाकर परीक्षण एवं परामर्श करने की सलाह दी।
- सरस्वती नदी की तलहटी में बसे महाराजा गंगा सिंह की बीकानेर रियासत में महाराजा अनोप सिंह द्वारा स्थापित शहर अनूपगढ़ एक ऐतिहासिक शहर है, अनूपगढ़ वीरों की भूमि, तप, त्याग व बलिदान की अनूठी ऐतिहासिक धरती है, यहां की सभ्यता 5000 वर्ष पुरानी हड़प्पा कालीन सभ्यता के समकालीन है भूतकाल में किसी समय यहां से सरस्वती नदी शिवालिक की पहाड़ियों से निकल कर इस क्षेत्र में बहती थी जो आज भी घग्घर नदी के नाम से बह कर क्षेत्र को सिंचित व उपजाऊ करती है।