भांट वाक्य
उच्चारण: [ bhaanet ]
उदाहरण वाक्य
- भाजपा के रविशंकर प्रसाद जैसे भांट कोई भी सफाई देते रहे लेकिन सच्चाई तो यही है कि आडवाणी मोदी को राष्ट्रीय नेता के बतौर प्रस्तुत किये जाने से प्रसन्न नहीं हैं.
- सुस्ता रहा हूं नीम के झरे हुए फूलों पर बैठकर-दुलारचन काका की सिनरैनी सुन रहा हूं, बुचुल भांट का किलांट सुन रहा हूं-जोसेफ मियां का पिस्टीन सुन रहा हूं।
- अब जैसे हमने बनारस में एक बिहारी से छात्र नेता से सुना था-भी बिहारी डोंट भांट आर्गू! भी भांट ओनली फ़ाइट अब बताइये इसका हिंदी / भोजपुरी में कौनौ उल्था संभव है!:)
- अब जैसे हमने बनारस में एक बिहारी से छात्र नेता से सुना था-भी बिहारी डोंट भांट आर्गू! भी भांट ओनली फ़ाइट अब बताइये इसका हिंदी / भोजपुरी में कौनौ उल्था संभव है!:)
- ऐसे में ये हुक्मरानों पर निर्भर करता है कि कारोबारियों को कब, क्यों और कितनी छूट दी जाए? और जरूरत के हिसाब से कितनी नकेल कसी जाए? लेकिन हमारे देश के हुक्मरान भांट में तब्दील हो चुके हैं।
- यहाँ जाती है, क्षेत्र यहाँ है गोत्र और सगोत्र यहाँ है संस्कार का झंडा लेकर अंडा उनसब पर फेंक रहा है जो उसके मुर्दा होने पर जीवन उसमें डाल सकेंगे पर गुंडों के हथकंडे आकर मुर्दा भी रंग बघार रहा है दुष्प्रचार के भांट बुलाकर खिल्ली उनकी उड़ा रहा है.
- 22 अप्रैल को आयोग के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के साथ सदस्य श्री रिछपाल सिंह, श्रीमती कंचन कन्नौजिया, श्रीमती निर्मला यादव व श्री अजय कुमार सिंह की उपस्थिति में हरिद्वारी वैश्य, जागा समुदाय (मुस्लिम) की प्रारम्भिक सुनवाई तथा गोरिया जाति, हिन्दू भांट एवं भट्ट, अयोध्यावासी वैश्य की अन्तिम सुनवाई की जायेगी।
- इधर गांव-जयवार में शहर-बाजार में समाज में, मिजाज में देश और भीड़ का फर्क मिट रहा था संविधान के सारे मुहावरे लगभग चीख रहे थे उधर भीड़ से भगाया हुआ एक कवि हाशिये पर हांफ रहा था लगभग भांट की तरह शायद बांच रहा था ” गर महंगाई से मारेंगे तो बक्शीश क्या दोगे जी? ''
- मुसलमानों के अति पिछड़ा (दलित वर्ग) जैसे-मेहतर, धोबी, मोची, बक्खो, नट, लालबेगी, नालबन्द, साई, नाई, डफाली, भांट, पवड़ियां, भटियारा, मीरासन, चूड़ीहारा, जुलाहा, धूनिया, कुन्जड़ा, कसाई, कलन्दर, मदारी, भिश्ती इत्यादि की स्थिति हिन्दू दलितों से भी बदतर है।
- प्रतिभाओं की चिता जलाने की तरकीबें बना रहा है दोहरे और दोगले मिलकर कंधे पर लादे लादे सहानभूति के वोट बटोर कर सीना अपना तन रहे हैं जनता है बे चैन मगर मन ही मन सब कोस रहे हैं गलती कर दी, अब न करेंगे सहानभूति के वोट या डरकर लूटने की खातिर ये दे देंगे फिर ये अपना वोट तब गुंडों के हथकंडे आकर मुर्दा भी रंग बघार रहा है दुष्प्रचार के भांट बुलाकर खिल्ली उनकी उड़ा रहा है.