भारत दुर्दशा वाक्य
उच्चारण: [ bhaaret duredshaa ]
उदाहरण वाक्य
- भारतेंदु ने सवा शताब्दी पहले जब भारत दुर्दशा या अंधेर नगरी लिखा था तब वे नहीं जानते थे कि इतने समय बाद भी उनके ये नाटक सामयिक बने रहेंगे.
- आधुनिक खड़ी हिन्दी के पितामह भारतेन्दु हरिशचंद्र ने 1876 ई. में लिखे अपने नाटक ‘ भारत दुर्दशा ' में अंग्रेज़ों की भारत के प्रति आक्रामक नीति का उल्लेख किया है।
- इस मोड़ पर हम यह जानते हैं कि भारत दुर्दशा का इतिहास क्या था, लेकिन डौडियाखेड़ा बताता है कि इक्कीसवीं सदी में भी हम उसी सपने में जी रहे हैं।
- ‘ राणा प्रताप ', ‘ भारत दुर्दशा ' तथा ‘ चंद्रगुप्त ' नाटकों का मंचन इस क्लब के द्वारा हुआ और इन सबमें नायक की भूमिका भगत सिंह ने निभाई थी।
- वैदिक हिंसा हिंसा न भवति (1873) भारत दुर्दशा (1875) सत्य हरिश्चंद्र (1876) श्री चंद्रावली (1876) नीलदेवी (1881) अँधेर नगरी (1881)
- (१) सन् १ ८ ५ ०-भारतेन्दु हरिश्चंद्र, आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रवर्तक, जिन्होंने हरिश्चंद्र मैगजीन, कविवचन सुधा जैसी पत्रिका निकाली तथा अंधेरनगरी और भारत दुर्दशा आदि अनेक नाटक लिखा।
- इसके अतिरिक्त उन्होंने ' सत्य हरिश्चन्द्रं ' (1875), ' श्री चन्द्रावली ' (1876), ' भारत दुर्दशा ' (1876-1880 के बीच), ' नीलदेवी ' (1881) जैसे मौलिक नाटक भी लिखे।
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के भारत दुर्दशा व अंधेर नगरी को लोग आधुनिक रंगमंच की प्रथम कृतियां मानते हैं, है या नहीं मैं इस विवाद में नहीं जाना चाहता पर इन नाटकों से रंगमंच और नाटक को लेकर एक नई बहस आरंभ हुई।
- कइओं को फिकर होगी कि मैं ऐसा दक्षिणपंथी माल क्यों पसोर रहा हूँ| इसलिए कि जिनकी गाँठें खुलने की संभावना है, वे पढ़ें और विलाप करें-हा, हा, भारत दुर्दशा देखी न जाई! या सिकंदर सा कहें: सच सेल्यूकस! विचित्र यह देश!
- ऋषियों के सच्चे चरित्र का लोप होने के कारण ही आज भारत दुर्दशा का शिकार है और जब तक ऋषियों का सच्चा चरित्र लोगों के सामने नहीं आएगा और लोग उनका अनुकरण नहीं करेंगे तब तक भारत का उद्धार हरगिज़ हरगिज़ होने वाला नहीं है।