मुरारीलाल शर्मा वाक्य
उच्चारण: [ muraarilaal shermaa ]
उदाहरण वाक्य
- इस मौके पर सरदारशहर एसडीएम लोकेश सहल, सुजानगढ एसडीएम अजीत सिंह राजावत, राजगढ एसडीएम रामनिवास जाट, चूरू एसडीएम उम्मेद सिंह, राजगढ बीडीओ गोपीराम महला, सुजानगढ बीडीओ मूलाराम चौधरी, सुजानगढ तहसीलदार महेंद्र चौधरी, उप पंजीयक मुरारीलाल शर्मा, नरेगा अधीक्षण अभियंता, एमआईएस मैनेजर सहित संबंधित अधिकारी मौजूद थे।
- यह नियुक्ति निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार नहीं की जाकर फौरी तौर पर गुप्त तरीके से प्राईवेट आवेदन मांग कर पद का दुरूपयोग करके की गई हैं तथा इसका लाभ मुरारीलाल शर्मा द्वारा उठाया गया हैं, अतः निर्विवाद हैं कि धारा 13-1-डी-2 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व धारा 468,420 व 120-बी भारतीय दण्ड संहिता के आरोप साबित हैं।
- अभियुक्त रामकिशोर ने धारा 313 दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत दिये गये अपने बयान में अभियोजन साक्ष्य के करीब करीब सभी तथ्यों को स्वीकार कर लिया तथा यह स्वीकार कर लिया कि वह दिनांक 15. 5.1995 से 3.6.1996 तक जिला शिक्षा अधिकारी, जैसलमेर के पद पर पदस्थापित रहा तथा उसने मुरारीलाल शर्मा का नियुक्ति आदेश प्रदर्श पी. 1 तथा अवधि बढाने का आदेश प्रदर्श पी. 12 जारी किया जिन पर उसके हस्ताक्षर हैं।
- रामभरोसी, विनय आर्य, राधेश्याम, गिर्राज लम्बदार, मुरारीलाल शर्मा, नन्नू लम्बरदार, रामसिंह, चन्दर मुखिया, राजू प्रधान, हरीसिंह नेता, परमानन्द, विष्णु मेम्बर, अशोक कुमार शर्मा, दीनदयाल नारायण, ओमप्रकाश, फूल चन्द्र, मनोज, जगदीश बाबू, कृष्ण कुमार शर्मा, पूरन, मूला काका, रामचन्द्र प्रधान, चन्द्रभान, पप्पू, राधेश्याम पचैरी, आदि अनेक व्यक्ति उपस्थित थे।
- विशेष न्यायाधीश, सेशन न्यायालय (भ्र. नि. अ.), जोधपुर। प्रकरण के प्रमुख तथ्य इस प्रकार है कि वर्ष 1995-96 में तृतीय श्रेणी के रिक्त पदो पर सीधी भर्ती से शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा निदेश तत्कालिन जिला शिक्षा अधिकारी रामकिशोर खंगार ने नर्ही माने तथा उस प्रक्रिया का पालन किये बिना अभियुक्त मुरारीलाल शर्मा को राजकीय माध्यमिक विद्यालय, उजला में तृतीय श्रेणी पुस्तकालयाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति दे दी जबकि उक्त विद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष का कोई स्वीकृत पद ही नही था।
- जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के रिकार्ड से यह बात भी साबित हैं कि मुरारीलाल शर्मा का नाम अभ्यार्थियों की सूची, चयनित सूची या साक्षात्कार लिये जाने वालो की सूची में नही था इसके बावजूद उसे बाहरी तौर पर फर्जी तरीके से नियुक्ति दे दी गई हैं तथा निर्धारित अवधि में कार्यभार ग्रहण नहीं करने पर उसका समय बढाने पर प्रदर्श पी. 12 आदेश और पारित किया गया हैं जिसके अनुसरण में मुरारीलाल शर्मा ने कार्यभार ग्रहण भी कर लिया तथा उसी दिन अनुपस्थित हो गया।
- जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के रिकार्ड से यह बात भी साबित हैं कि मुरारीलाल शर्मा का नाम अभ्यार्थियों की सूची, चयनित सूची या साक्षात्कार लिये जाने वालो की सूची में नही था इसके बावजूद उसे बाहरी तौर पर फर्जी तरीके से नियुक्ति दे दी गई हैं तथा निर्धारित अवधि में कार्यभार ग्रहण नहीं करने पर उसका समय बढाने पर प्रदर्श पी. 12 आदेश और पारित किया गया हैं जिसके अनुसरण में मुरारीलाल शर्मा ने कार्यभार ग्रहण भी कर लिया तथा उसी दिन अनुपस्थित हो गया।
- (आर. के. बंसल) विशेष न्यायाधीश, सैशन न्यायालय (भ्र. नि. अ.) जोधपुर कारावास से दण्डित किया जाता हैं। प्रकरण के प्रमुख तथ्य इस प्रकार है कि वर्ष 1995-96 में तृतीय श्रेणी के रिक्त पदो पर सीधी भर्ती से शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा निदेश तत्कालिन जिला शिक्षा अधिकारी रामकिशोर खंगार ने नर्ही माने तथा उस प्रक्रिया का पालन किये बिना अभियुक्त मुरारीलाल शर्मा को राजकीय माध्यमिक विद्यालय, उजला में तृतीय श्रेणी पुस्तकालयाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति दे दी जबकि उक्त विद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष का कोई स्वीकृत पद ही नही था।