मैसूर पाक वाक्य
उच्चारण: [ maisur paak ]
उदाहरण वाक्य
- मैसूर पाक अच्छा बने उसके लिये बेसन फूलने पर जल्दी जल्दी चलाते हुये भूनिये और जैसे ही बेसन में जाली दिखाई देने लगे, बेसन का हल्का सा कलर बदले तुरन्त मैसूर पाक को थाली में जमाने के लिये निकालिये.
- चिरोटी मसाला दोसा रोटी भरवां कोलोकेशिया साग धारवाड़ पेड़ा गोकाक सारु मज्जिगे हुली केम्पन्ना सज्जिगे बजील सांभर येन्ने पैडी करी सोप्पू पाल्या उस्ली झोल्का पंडी करी कोली करी बेम्ब्ला करी तालिपट्टू मैसूर पाक ओबट्टू कर्दंतु शैविगे पायस कूटु रागी मन्नी जोडा मुद्दे
- मैसूर पाक सर्दी दूर भगाए बादाम का हलवा ताकतवर गोंद के लड्डू टेस्टी पिस्ता हलवा टेस्टी मलाई चमचम रसीली मावा जलेबी खजूर के लड्डू स्वादिष्ट राजस्थानी घेवर दीवाली पर बनाइये सोन पापडी़ 8 स्वादिष्ट दीवाली मिठाइयां ब्रेड बर्फी बना कर जीते सबका मन
- निशा: ममता जी, मैसूर पाक के बनने का एक समय जिस समय वह सबसे ज्यादा फूलता है, इसी समय इसे जमा दिया जाता है, उसे चूकने पर ये जाली नहीं मिलती, थोड़ी सी प्रेक्टिस से बार बार बनाने से आप इस तरह का मैसूर पाक बना सकेंगी.
- निशा: ममता जी, मैसूर पाक के बनने का एक समय जिस समय वह सबसे ज्यादा फूलता है, इसी समय इसे जमा दिया जाता है, उसे चूकने पर ये जाली नहीं मिलती, थोड़ी सी प्रेक्टिस से बार बार बनाने से आप इस तरह का मैसूर पाक बना सकेंगी.
- चार शताब्दी पुरानी है मैसूर दशहरे की भव्य परंपरा कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले मैसूर के नाम से कई खास चीजें जुड़ी हुई हैं-मैसूर मल्लिगे (विशेष पुष्प), मैसूर के रेशमी वस्त्र, राजमहल, मैसूर पाक (मिष्टान्न), मैसूर पेटा (पगड़ी), मैसूर विल्यदले(पान) तथा और भी बहुत-सारी चीजें।
- कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले मैसूर के नाम से कई खास चीजें जुड़ी हुई हैं-मैसूर मल्लिगे (विशेष पुष्प), मैसूर के रेशमी वस्त्र, राजमहल, मैसूर पाक (मिष्टान्न), मैसूर पेटा (पगड़ी), मैसूर विल्यदले (पान) तथा और भी बहुत-सारी चीजें।
- निशा: दीपिका, बेसन में झाग दिखाई देते और ऊसका थोड़ा कलर भी चेन्ज हो जाता है, बेसन को तुरन्त जमाना होता है, उसको और ज्यादा पका लिया जाय तो वह ड्राई होने लगता है, एसी स्टेज में आप थोड़ा गरम पानी और गरम घी दोनों डालकर झाग आने वाली स्टेज तक फिर से पकायें और जमा दें, मैसूर पाक सही जम कर तैयार हो जाता है.
- अभिषेक बाबू, जो फ्री फ्लो में लिख मारी पोस्ट, उसमे बस मजा आ गया, और शेरों, नज्मों और त्रिवेणियों का एक जादू बिखेर दिया गुरु | कई कई बार पढ़ लिए | एसी महफ़िल कभी कभी जमती हैं पर जब जमती हैं, माशा-अल्लाह खुदा का नूर बरस पड़ता है | एक “ मैसूर पाक ” हमारी तरफ से “ जय-वीरू ” टाइप के दोस्तों को. चीयर्स!!!!!