मोरोपन्त वाक्य
उच्चारण: [ moropent ]
उदाहरण वाक्य
- 19 नवम्बर, 1835 को काशी (वाराणसी) में महाराष्ट्रीय ब्राह्मण मोरोपन्त और भगीरथ बाई के घर एक विलक्षण कन्या का जन्म हुआ।
- इसके साथ ही धर्मग्रंथों के अध्ययन में भी ऐसी प्रवीण हुई कि पिता मोरोपन्त, पेशवा बाजीराव और स्वयं उसके गुरु भी चकित थे।
- मोरोपन्त की पत्नी भागीरथीबाई ने कार्तिक कृष्णा संवत् 1891 अर्थात् 16 नवम्बर, सन् 1835 ई ० के दिन एक कन्या को जन्म दिया।
- एक सामान्य स्तर के व्यक्ति मोरोपन्त ताम्बे की सात वर्षीया अबोध पुत्री परिस्थितियों वश झांसी के प्रौढ़प्राय राजा गंगाधर राव की महारानी लक्ष्मीबाई बन गयी।
- बलवन्त के पुत्र हुए मोरोपन्त तथा सदाशिव, ऊपर कहा जा चुका है कि इस परिवार पर पेशवाओं की कृपादृष्टि दो पीढ़ियों से बनी आ रही थी।
- खिन्न होकर मोरोपन्त कह बैठे-“ अरी क्यों व्यर्थ की हठ करती है, अपना भाग्य तो देख ; तेरे भाग्य में हाथी पर बैठना लिखा भी है? ”
- रानी का अवतार स्वराज की साच्छात् मूर्ति के रूप में मोरोपन्त की पुत्री के रूप मे काशी के मर्णिकर्णिका घाट के पास (मनुबाई) का जन्म लेना ऐसा प्रतीत
- झाँसी की रानी (कथा-काव्य)झाँसी की रानी की कहानी कथा-काव्य के माध्यम सेबच्चो एक बहादुर नारीमाने जिसको दुनिया सारी लक्ष्मी बाई था उसका नामकिए अनूठे उसने काममाँ भगीरथ की सन्तानपिता मोरोपन्त की जानकाशी नगरी जन्म स्थानमनु नाम से मिली पहचानगंगाधर सँग विवाह
- बालिका मनूबाई भले ही मृत्यु का अर्थ अभी भली प्रकार नहीं समझ सकती थी, फिर भी माँ के अभाव का उसके अबोध मन पर भारी आघात पहुंचा होगा, मोरोपन्त को भी जीवनसंगिनी के वियोग से आघात तो भीषण लगा, किन्तु वह तो विचिलित नहीं हुए।