युद्धकाण्ड वाक्य
उच्चारण: [ yudedhekaaned ]
उदाहरण वाक्य
- वाल्मीकि रामायण के अतिरिक्त ‘ अध्यात्म रामायण ' के युद्धकाण्ड में भी नल द्वारा सौ योजन सेतु निर्माण का उल्लेख मिलता है-‘‘ बबन्ध सेतुं शतयोजनायतं सुविस्तृतं पर्वत पादपैर्दृढम्।
- वाल्मीकि रामायण के युद्धकाण्ड में वर्णित उक्त कथन से जब पहले पहले मेरा सामना हुआ तो पत्नी सीता के संदर्भ में राम के वंशवाद या कुलवाद से मैं भी हिल गया।
- वाल्मीकि रामायण के युद्धकाण्ड में वर्णित उक्त कथन से जब पहले पहले मेरा सामना हुआ तो पत्नी सीता के संदर्भ में राम के वंशवाद या कुलवाद से मैं भी हिल गया।
- (युद्धकाण्ड सर्ग-१ ३)-हे सर्वव्यापक! अति पावन! लोक साक्षी अग्नि! … स्पष्ट है, ये संबोधन लौकिक अग्नि के लिए नहीं हो सकते थे।
- वाल्मीकि-कृत रामायण (दुर्भाग्य से कलियुग के अधिकाँश रामभक्त इसे पढ़ने का कष्ट नहीं करते) के युद्धकाण्ड में राम और विभीषण के बीच एक अत्यंत रोचक और शिक्षाप्रद संवाद है.
- प्रमाण स्वरुप पढ़िये यह श्लोक-तथा लोकास्ये-पावकः (युद्धकाण्ड सर्ग-१३)-हे सर्वव्यापक! अति पावन! लोक साक्षी अग्नि!... स्पष्ट है, ये संबोधन लौकिक अग्नि के लिए नहीं हो सकते थे।
- हाँ इतना अवश्य है कि युद्धकाल प्रायः व्यापारिक समूहों के लिए सदैव ही व्यापार और लाभार्जन का एक अवसर होता है किंतु किष्किन्धा अथवा युद्धकाण्ड हमें ऐसे व्यापारियों अथवा व्यापारी समूहों से कोई परिचय नहीं कराता।
- युद्धकाण्ड ११६ / १६ अर्थात तुम्हें मालूम होना चाहिए कि मैंने जो युद्ध का परिश्रम उठाया है तथा इन मित्रों के पराक्रम से जो इसमें विजय पाई है, यह सब तुम्हें पाने के लिए नहीं किया गया है।
- ' (युद्धकाण्ड 116 वाँ सर्ग श्लोक 2) वे वन गमन के निर्देश को नियतिवाद बता रहे थे लेकिन लंकाविजय को ' दैव सम्पादित दोषो मानुषेण माया जितः '-दैव की दोषपूर्ण योजना को मैंने मनुष्य होकर भी जीत लिया।
- यह वाल्मिकीय रामायण के युद्धकाण्ड में स्वयं रावण ने ही स्पष्ट किया है जब सभा में रावण से नारान्तक ने पूंछा कि आपने सीता को अशोक वाटिका में क्यों रख छोड़ा है, आप बलपूर्वक भी भोग की अपनी लालसा पूर्ण कर सकते हैं?