राग बहार वाक्य
उच्चारण: [ raaga bhaar ]
उदाहरण वाक्य
- यह सुनकर मनोरमा की परेशानी बढ़ गई-मेरा बत्तीस रुपए वाला किराए का मकान, रेफ्रिजेरेटर, बिजली, देहरादून स्कूल, वायलिन पर राग बहार, केदार और जययजवंती...
- इस गीत में ग्रीष्म ऋतु का राग गौड़ सारंग, वर्षा ऋतु का राग गौड़ मल्हार, पतझड़ का राग जोगिया और बसन्त ऋतु का राग बहार क्रमशः शामिल किया गया है।
- राग बहार और बागेश्वरी: ‘टूट गई मेरे मन की वीणा...' और ‘मधुर मधुर संगीत सुनाओ...': पूर्णिमा सेठ और पंढारीनाथ कोल्हापुरे गीत के अगले भाग में राग यमन कल्याण का स्पर्श है।
- राग बहार का संक्षिप्त परिचय-थाट-काफीजाति-षाडव-षाडवस्वर-गंधार कोमल, दोनों निषादों का प्रयोग,आरोह में रे,अवरोह में ध स्वर वर्ज्यवादी स्वर-मसंवादी स्वर-सागायन-वादन समय-मध्य रात्रिन्यास के स्वर-सा,म और पसम्प्रकृति राग-मियाँ मल्हारविशेषता-प्राचीन...
- राग खमाज का सादरा-‘ सुध बिसर गई आज अपने गुनन की... ' तथा राग बहार का ख़याल-‘ फूलवाले कन्त मैका बसन् त... ' उनकी बहुचर्चित रचनाएँ हैं।
- राग बहार का संक्षिप्त परिचय-थाट-काफीजाति-षाडव-षाडवस्वर-गंधार कोमल, दोनों निषादों का प्रयोग,आरोह में रे,अवरोह में ध स्वर वर्ज्यवादी स्वर-मसंवादी स्वर-सागायन-वादन समय-मध्य रात्रिन्यास के स्वर-सा,म और पसम्प्रकृति राग-मियाँ मल्हारविशेषता-प्राचीन
- राग बहार में ‘छाड़ो डगर मोरी बहियाँ गहो ना, रीत की अनरीत करो ना कान्हा………' या ‘अब कैसे जोबना बचाओगी गोरी, फागुन मस्त महीना की होरी' राग झिंझोटी में ‘आहो मोहन श्रृंगार करूं मैं तोरा, मोतियन मांग भरूं'।
- जोडी के दोनों रागो की पूरी जानकारी देते हुए दोनों रागो के लिए अलग-अलग बन्दिशे और फिल्मी गीत सुनवाए गए जैसे राग बहार पर आधारित गीत-छम छम नाचत आई बहारसामान्य जानकारी भी मिली की राग तिलक कामोद में लोकगीत बहुत होते है।
- ‘ स्वरगोष्ठी ' के ५ ६ वें अंक में हमने आपको राग बहार पर आधारित एक फिल्मी गीत-‘ सकल वन पवन चलत पुरवा ई... ' सुनवा कर आपसे फिल्म का नाम और संगीतकार का नाम पूछा था, जिसका क्रमशः सही उत्तर है, ममता और रोशन।
- राग बहार का संक्षिप्त परिचय-थाट-काफी जाति-षाडव-षाडव स्वर-गंधार कोमल, दोनों निषादों का प्रयोग,आरोह में रे,अवरोह में ध स्वर वर्ज्य वादी स्वर-म संवादी स्वर-सा गायन-वादन समय-मध्य रात्रि न्यास के स्वर-सा,म और प सम्प्रकृति राग-मियाँ मल्हार विशेषता-प्राचीन ग्रंथो में इस राग का उल्लेख नहीं मिलता,अत: यह माना जाता है कि इस राग की रचना मध्य काल में हुई.