राज्य की उत्पत्ति वाक्य
उच्चारण: [ raajey ki utepteti ]
उदाहरण वाक्य
- इस संविदा या ठहराव का राज्य की उत्पत्ति से कोई संबंध नहीं वरन् राज्य के अस्तित्व की पूर्व कल्पना कर यह उन मान्यताओं का विवेचन करता है जिन पर उस राज्य का शासन प्रबंध चले।
- मेरे विचार से राज्य की उत्पत्ति संगठित कम संख्या में मौजूद शक्तिशाली अमीर जनता और अधिक संख्या में मौजूद गरीब शक्तिहिन जनता अपने ऊपर होने वाले तथा अपने साथ हुए अत्याचार का संगठित होकर विरोध न कर सकें इसलिए हुई.
- मेरे विचार से राज्य की उत्पत्ति संगठित कम संख्या में मौजूद शक्तिशाली अमीर जनता और अधिक संख्या में मौजूद गरीब शक्तिहिन जनता अपने ऊपर होने वाले तथा अपने साथ हुए अत्याचार का संगठित होकर विरोध न कर सकें इसलिए हु ई.
- परंतु जब संविदा के आधार पर ही समस्त राजनीति शास्त्र का विवेचन प्रारंभ हुआ तब इन दोनों प्रकार की संविदाओं का प्रयोग किया जाने लगा-सामाजिक संविदा का राज्य की उत्पत्ति के लिए तथा सरकारी संविदा का उसकी सरकार को नियमित करने के लिए।
- परंतु जब संविदा के आधार पर ही समस्त राजनीति शास्त्र का विवेचन प्रारंभ हुआ तब इन दोनों प्रकार की संविदाओं का प्रयोग किया जाने लगा-सामाजिक संविदा का राज्य की उत्पत्ति के लिए तथा सरकारी संविदा का उसकी सरकार को नियमित करने के लिए।
- वर्ग सामन्ती व्यवस्था राज्य की उत्पत्ति: बेहतर जीवन की ओर-6 अब तक हमने देखा कि किस तरह शिकार करते हुए पशुओं के बारे में अनुभव ने मनुष्य को पशुपालन की और धकेला और इसी पशुपालन ने मनुष्य समाज में दास वर्ग को उत्पन्न किया।
- एंगेल्स की पुस्तक परिवार, व्यक्तिगत संपत्ति और राज्य की उत्पत्ति से बार-बार उद्धृत किया जाने वाला प्रसंग जिसमें एंगेल्स इस दलील को खारिज करते हैं कि लंबे नीरस दाम्पत्य से उत्कट प्रेम पगा एक ही चुंबन बेहतर है और कहते हैं कि यह तर्क पुरुष के पक्ष में जाता है।
- एंगेल्स की पुस्तक परिवार, व्यक्तिगत संपत्ति और राज्य की उत्पत्ति से बार-बार उद्धृत किया जाने वाला प्रसंग जिसमें एंगेल्स इस दलील को खारिज करते हैं कि लंबे नीरस दाम्पत्य से उत्कट प्रेम पगा एक ही चुंबन बेहतर है और कहते हैं कि यह तर्क पुरुष के पक्ष में जाता है।
- स्त्री अपने पद से वंचित कर दी गई, जकड़ दी गई, पुरूष की वासना की दासी, सन्तान उत्पन्न करने का यंत्र मात्र बन कर रह गई. ' (फ्रेडरिक एंगेल्स: परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति, पृ 0 64) वैयक्तिक सम्पत्ति के उत्तराधिकार ने ही विवाह नामक संस्था को जन्म दिया.
- इस पर कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में राज्य की उत्पत्ति की आवश्यकता के संबंध में वर्णन करते हुए लिखा है कि-प्राचीन काल में मत्स्य-न्याय (अर्थात सृष्टि प्रारंभ के बहुत समय पश्चात जब व्यक्ति की सतोगुणी वृत्ति के स्थान पर प्रधान राक्षसी तमोगुणी वृत्ति बलवती हो गयी, तो बलवान निर्बल को उसी प्रकार खाने, सताने और उत्पीडि़त करने लगा, जिस प्रकार बड़ी मछली छोटी को खा जाती है, इसी को मत्स्य न्याय कहा जाता है।