रामानन्द सागर वाक्य
उच्चारण: [ raamaanend saagar ]
उदाहरण वाक्य
- रामानन्द सागर की आरज़ू, प्रमोद चक्रवर्ती की लव इन टोकियो, शक्ति सामन्त की आराधना, ॠषिकेश मुखर्जी की आशिर्वाद और आनन्द, बीआर चोपडा की वक्त, मनोज कुमार की उपकार, प्रसाद प्रोडक्शन की मिलन साठवें दशक के उत्तर्राध्द की बेमिसाल फिल्में थीं ।
- इस रविवार कि सुबह ने मुझे रामा नन्द सागर कि याद आगई आज से २५ साल पहले जब रामानन्द सागर का धारावहिक रामायण दूरदर्शन पर आया करता था तो रामायण एक ऐसा सीरियल था जिनके बारे में कहा जा सकता है कि जब रामायण का प्रसारण होता था तो शहरों में कर्फ्यू लग जाता था.
- बंबइया फिल्मकारों ने तो कलात्मक फिल्मों से भी समझोता कर लिया है. मणि कौल का एक भाषण सुनने के बाद एक बहस में रामानन्द सागर बोले कि कौल किसीफार्मूले को 'लैब' में परिश्रम करके बनाते बैज्ञानिक हैं पर उसे 'पापुलर' करने केलिए भी तो लोगों की जरुरत है यानि मणि कौल से भी रामानन्द सागर की कोई बहस नहीहै.
- बंबइया फिल्मकारों ने तो कलात्मक फिल्मों से भी समझोता कर लिया है. मणि कौल का एक भाषण सुनने के बाद एक बहस में रामानन्द सागर बोले कि कौल किसीफार्मूले को 'लैब' में परिश्रम करके बनाते बैज्ञानिक हैं पर उसे 'पापुलर' करने केलिए भी तो लोगों की जरुरत है यानि मणि कौल से भी रामानन्द सागर की कोई बहस नहीहै.
- “ महाराज! आप कौन वाले है? वाल्मीकि, तुलसीदास या रामानन्द सागर वाले? ”-मैने डरते-डरते पूछा “ अरे मूढ़! मुझे ' मोशाय ' बोल, ' मोशाय ' ”-अपने खडग का अग्रभाग दबाते हुए बोला-” अरे मूढ़! मैं सार्वकालिक हूँ, हर काल में व्याप्त हूँ, हर स्थान में व्याप्त हूँ।
- _ “ अरे देंगे काहे नहीं, पहिले असली बात त होखे दअ!! ”-~ “ जनवरी १ ९ ८ ९ ” ~ मैं लोहरदगा में बॉटनी की ट्यूशन पढता था! उन दिनों रामानन्द सागर कृत रामायण का प्रसारण हर रविवार को सुबह ९ (नौ) बजे होता था! एक घंटे के लिए भारत भर की जनता रामायण देखती थी! (ईयार!!
- लेकिन एक बात बताइए ये आप की क्लास में हर मेज के साथ एक एक बाल्टी काहे रखी थी, क्या इसका आशय ये था जो भी सीखो फ़ौरन बाल्टी के हवाले कर दो…॥:) रामायण का ऐसा भावार्थ न कभी पढ़ा न कभी सुना(वैसे तो रामायण भी नहीं सुनी सिर्फ़ रामानन्द सागर ने जितनी दिखाई, उतनी ही पता है)आप का रामायण का ये इन्टरप्रिटेशन न सिर्फ़ एक दम अनूठा है बल्कि विचारणीय है।
- लेकिन एक बात बताइए ये आप की क्लास में हर मेज के साथ एक एक बाल्टी काहे रखी थी, क्या इसका आशय ये था जो भी सीखो फ़ौरन बाल्टी के हवाले कर दो … ॥:) रामायण का ऐसा भावार्थ न कभी पढ़ा न कभी सुना (वैसे तो रामायण भी नहीं सुनी सिर्फ़ रामानन्द सागर ने जितनी दिखाई, उतनी ही पता है) आप का रामायण का ये इन्टरप्रिटेशन न सिर्फ़ एक दम अनूठा है बल्कि विचारणीय है।