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रावणवध वाक्य

उच्चारण: [ raavenvedh ]

उदाहरण वाक्य

  1. रामजन्म, सीताहरण, रावणवध और भरत मिलाप जैसे रामलीला के विभिन्न प्रसंगों का मंचन देखने के लिए आपको हर साल नवरात्रि का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन अयोध्या में पूरे साल चलने वाली अनवरत रामलीला में प्रतिदिन राम की लीलाओं को देखा जा सकता है।
  2. पटना के गांधी मैदान में यूं तो पिछले पांच दशकों से दशहरा के मौके पर रावणवध समारोह का आयोजन होता रहा है लेकिन यहां इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां बनने वाले रावण, मेघनाद और कुंभकरण का पुतला मुस्लिम समुदाय के लोग तैयार करते हैं।
  3. अयोध्या में सालभर होती है रामलीला रामजन्म, सीताहरण, रावणवध और भरत मिलाप जैसे रामलीला के विभिन्न प्रसंगों का मंचन देखने के लिए आपको हर साल नवरात्रि का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन अयोध्या में पूरे साल चलने वाली अनवरत रामलीला में प्रतिदिन राम की लीलाओं को देखा जा सकता है।
  4. कहीं-कहीं तो कुछ राजनेताओं और अधिकारियों द्वारा रावणवध के अभिनय से पूर्व राम और लक्षमण को तिलक लगाकर आशीर्वाद दिया जा रहा है.... कि जाओ रावणवध में सफल हो.... अपना काम करो..... हमारे कामों पर ध्यान मत दो.... तुम्हारा काम यह अभिनय करना ही है... इससे अधिक और कुछ नहीं..... बस....
  5. कहीं-कहीं तो कुछ राजनेताओं और अधिकारियों द्वारा रावणवध के अभिनय से पूर्व राम और लक्षमण को तिलक लगाकर आशीर्वाद दिया जा रहा है.... कि जाओ रावणवध में सफल हो.... अपना काम करो..... हमारे कामों पर ध्यान मत दो.... तुम्हारा काम यह अभिनय करना ही है... इससे अधिक और कुछ नहीं..... बस....
  6. शनिवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दशहरा कमेटी के अध्यक्ष वीके लूथरा व कोषाध्यक्ष सुषमा साहु ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पहले भी रावणवध समारोह में एक मंच पर शामिल होते रहे हैं, इसलिए इस वर्ष भी दोनों नेताओं को समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
  7. आने वाले समय में धार्मिक सद्भावना के बहाने जामामस्जिद के किसी बड़े आदमी को बुलाया जाया करेगा..... सम्मानपूर्वक आमंत्रणपत्र भेजा जाएगा-”....... रावणवध के पुनीत कार्य में शरसंधान के उद्घाटन हेतु आपको आमंत्रित किया गया है..... आपकी उपस्थिति से हम गौरवान्वित होंगे..... पूरे देश पर कृपा होगी...... हिन्दू धर्म का उद्धार हो जाएगा...
  8. लेखक ने लक्ष्मी (नारी) की बात देवतों से आरंभ करी! मनुष्य क्या देवताओं मे भी विकार कूट कूट के भरा है, जहां मोका मिला छल, भेद, ईर्षा के कुचक्रों का उपयोग किया फिर वो अमृतपान हो, मोहिनी रूप या रावणवध की यौजना! यह भ्रम है की देवता उत्तम गुणो से उक्त हैं! लोभ, ईर्षा, काम, क्रोध, दम्भ इत्यादि इनके अलंकरण हो गए हैं! ऋषि पत्नी से दुराचार, मनुज-दनुज की तपस्या से आसन छिनने की बेचैनी, विलास इसके प्रमाण हैं!
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