लू शुन वाक्य
उच्चारण: [ lu shun ]
उदाहरण वाक्य
- लू शुन की कहानी ' एक पागल की डायरी' का पुनर्पाठ अपूर्वानन्द के शब्दों में-पचीस वर्ष हो गए हैं जब हमने पटना इप्टा की ओर से चीनी लेखक लू शुन की कहानी ' एक पागल की डायरी' का मंचन किया था.
- लू शुन की कहानी ' एक पागल की डायरी' का पुनर्पाठ अपूर्वानन्द के शब्दों में-पचीस वर्ष हो गए हैं जब हमने पटना इप्टा की ओर से चीनी लेखक लू शुन की कहानी ' एक पागल की डायरी' का मंचन किया था.
- मैंने दोस्तोव्स्की, टॉलस्टॉय, चेखव, कामू, काका, गोगोल, बालजाक, लू शुन, पर्ल एस बक, शोलोखोव और पोउलो कोएला के अलावा जापानी, इटैलियन, ब्राजिलियन, अमेरिकीन, ब्रिटिश, अफ्रीकी साहित्य भी खूब पढ़ा है।
- वह अपनों की नियति के प्रति इस कदर चिंतित हैं कि उन्हें लू शुन का जायज उत्तराधिकारी मान लेना मुश्किल नहीं होगा! ' जापानी नोबल पुरस्कार विजेता केंजाबुरो उई ने भी बहुत पहले भविष्यवाणी की थी कि वह दुनिया के इस सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित होंगे।
- लू शुन की कहानी ' एक पागल की डायरी' का पुनर्पाठ अपूर्वानन्द के शब्दों में-पचीस वर्ष हो गए हैं जब हमने पटना इप्टा की ओर से चीनी लेखक लू शुन की कहानी ' एक पागल की डायरी' का मंचन किया था. जावेद अख्तर खान ने मुख्य भूमिका निभाई...
- लू शुन की कहानी ' एक पागल की डायरी' का पुनर्पाठ अपूर्वानन्द के शब्दों में-पचीस वर्ष हो गए हैं जब हमने पटना इप्टा की ओर से चीनी लेखक लू शुन की कहानी ' एक पागल की डायरी' का मंचन किया था. जावेद अख्तर खान ने मुख्य भूमिका निभाई...
- इन परिचितों में कालिदास, भारतेन्दु, रवीन्द्रनाथ, निराला जैसे अग्रज रचनाकार हैं, गोर्की, लू शुन, ब्रेष्ट आदि जैसे विदेशी रचनाकार हैं, केदारनाथ अग्रवाल, शैलेन्द्र, हरिशंकर परसाई, रेणु, राजकमल चौधरी जैसे अपने समकालीन और बाद की पीढ़ी के रचनाकार हैं।
- वाइल्ड ग्रास ' की भूमिका में लू शुन ने लिखा है-“ धरती के भीतर तीव्र वेग से जो अग्नि-मंथन हो रहा है, उस का लावा जब सतह पर आएगा, तो वह सभी जंगली घासों और गहराई से धंसे विष-वृक्षों को जला कर खाक कर देगा, ताकि सडान्ध पैदा करनेवाली कोई चीज़ न रह जा य. ”)
- खलील जिब्रान, ताओ लाओत्से, कीट्स, टी एस एलियट, येहूदा आमीखाई, शुन्तारो तानीकावा,अमृता प्रीतम, दास्तोएवस्की, पाब्लो नेरुदा, लू शुन और ऐसे ही कुछ रचनाकार/दार्शनिक जो लेखन शैली, और बिम्ब की भिन्नता से अलग अलग पहचाने जाते हों, मगर इन सब में एक अभिन्नता है जो किसी तत्व के प्रति अभिभूत होने के बाद, उसे अभिभूत करने वाली सहज और अद्भुत वैचारिकता (खलील जिब्रान के कथन को पुनः समझें) के साथ सामने रखना।
- कुछ शर्माये भले आदमी ने जवाब दिया जानते होते तो रेल में क्यों होते, मैं बहुत अचकचाया पर तब कितनी तो देर हो चुकी थी, और सवाल चुकते कहां हैं रंजु, लेकिन हम कभी साथ बैठकर ठीक-ठीक से बात करेंगे और एक दिन सब अच्छा हो जायेगा, लू शुन और चेख़ोव की रचनाओं में न होता हो तो भी क्या, मैं तुमसे वादा करता हूं, हां!(ऊपर लू शुन का एक वुडकट)