लोकायतन वाक्य
उच्चारण: [ lokaayetn ]
उदाहरण वाक्य
- लेखिका ने यह स्पष्ट किया है कि इसलिए पंत जी ने ‘ लोकायतन ‘ में मानव चेतना और उसके अस्तित्व की प्रासंगिकता के प्रवाह की रचना की है, जो निरंतर वर्तमान है.
- इसलिए उन्होंने अपने दो महाकाव्यों में से एक महाकाव्य लोकायतन अपने पूज्य पिता को और दूसरा महाकाव्य सत्यकाम अपनी स्नेहमयी माता को, जो इन्हें जन्म देते ही स्वर्ग सिधार गईं, समर्पित किया है।
- एनी बेसेन्ट हॉल मे वैचारिकी की गोष्ठी में, पं. सुमित्रानंदन पंत की उपस्थिति में, उनके महाकाव्य लोकायतन के बारे में साही जी ने कहा था-न मैंने लोकायतन पढ़ा है न पढ़ूंगा।
- एनी बेसेन्ट हॉल मे वैचारिकी की गोष्ठी में, पं. सुमित्रानंदन पंत की उपस्थिति में, उनके महाकाव्य लोकायतन के बारे में साही जी ने कहा था-न मैंने लोकायतन पढ़ा है न पढ़ूंगा।
- अध्यात्म, अंतश्चेतना, प्रेम, समदिक् संचरण इत्यादि जैसा संकल्पनाओं से भावाकुल पंत के लेखन-चिन्तन का केन्द्र-बिन्दु हमेशा ‘ लोक '-पक्ष ही रहा, जो लोकायतन के नामकरण से भी संकेतित होता है।
- इन्होंने मुक्तक, लंबी कविता, गद्य-नाटिका, पद्य-नाटिका, रेडियो-रूपक, एकांकी, उपन्यास, कहानी इत्यादि जैसी विभिन्न विधाओं में अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की हैं और लोकायतन तथा सत्यकाम-जैसे वृहत् महाकाव्य भी लिखें हैं।
- प्रिय प्रवास “ से ले कर ” लोकायतन ” तक इन महाकाव्यों को नज़दीक से देखने पर हम पायेंगे कि उनके पीछे द्विज दृष्टि ही है, भले ही उसे आधुनिकता का आवरण पहना दिया गया हो.
- इसलिए उन्होंने अपने दो महाकाव्यों में से एक महाकाव्य ' लोकायतन ' अपने पूज्य पिता को और दूसरा महाकाव्य ' सत्यकाम ' अपनी स्नेहमयी माता को, जो इन्हें जन्म देते ही स्वर्ग सिधार गईं, समर्पित किया है।
- पंत के लगभग 35 काव्य-संग्रह हैं, जिनमें ' उच्छ्वास, ' ग्रंथि, ' वीणा, ' पल्लव, ' गुंजन, ' ग्राम्या, ' स्वर्ण-किरण, ' पल्लविनी, ' चिदम्बरा एवं ' लोकायतन मुख्य हैं।
- लोकायतन “ काव्य में निहित संस्कृति और जीवन दर्शन को उजागर करते हुए लेखिका ने यह स्पष्ट किया है कि ” ‘ लोकायतन ‘ समग्र मानव-यात्रा का सृजन प्रवाह है और समस्त सृजन-प्रवाह में मानव की यात्रा है-”