वासुपूज्य वाक्य
उच्चारण: [ vaasupujey ]
उदाहरण वाक्य
- हालांकि ऋषभ, प्रथम, ने हिमालय के कैलाष पर्वत पर निर्वाण प्राप्त किया ; वासुपूज्य का देहांत उत्तर बंगाल में चम्पापुरी में हुआ ; नेमिनाथ गिरनार पर्वत पर, और महावीर, अंतिम, पावापुर, पर।
- जिसमे भगवन 1008 महावीर स्वामी मुलनायक हैं सात बलभद्र एवं गज्कुमार स्वामी की धातु की खडगासन प्रतिमाये हैं और जल्दी ही मुलनायक भगवन महावीर के दोनों बाजु श्री चंद्रप्रभु भगवन एवं श्री वासुपूज्य पद्मासन मुर्तिया विराजित करवाकर भव्य नूतन मंदिर का निर्माण हो रहा हैं।
- श्री वासुपूज्य जैन श्वेताम्बर तपागच्छ मंदिर अजमेर पुष्कर रोड के निर्माण में महत्वपूर्ण सहयोग एवं स्थापना में प्रमुख भूमिका के लिए गुरूदेव श्री कल्पतरू विजयश्री, गुरूदेव श्री कीर्तिचंद विजय को 10 दिसंबर को जैन तीर्थ कटारीया (गुजरात) में आचार्य पदवी प्रदान की जाएगी।
- वस्त्रों में सबसे अनुपम रेशम के उत्पादन के लिये मेरा नाम चांदो सौदागर के जमाने से पूरी दुनिया में फैला है और उसी के साथ फैली है विक्रमशिला विश्वविद्यालय की ख्याति, कर्ण की दानवीरता की कहानियां, जदार्लू आम और कतरनी चावल की खुशबू, जैन तीर्थंकर वासुपूज्य की ख्याति, महर्षि मेहीं का अध्यात्म और ऐसी ही सैकड़ों चीजें.
- जैन नीति शास्त्रों में वर्णन है कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान ' आदिनाथ ' अर्थात् भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर, 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी, 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ ने गिरनार पर्वत और 24 वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया।
- दिल्ली-भगवान् वासुपूज्य मुलनायक मंदिर गाँधी नगर, दिल्ली में मुनि श्री मंगलानंद जी महाराज के सानिध्य में तथा पंडित रत्नलाल बेनाडा जी के द्वारा एक शिविर आयोजित किया जा रहा है जिसमे सुबह बाल-बोध की क्लास, दिन में छह ढाला तथा रात को तत्वार्थ सूत्र की क्लास होगी, शिविर 4 अगस्त से 13 अगस्त [...]
- वस्त्रों में सबसे अनुपम रेशम के उत्पादन के लिये मेरा नाम चांदो सौदागर के जमाने से पूरी दुनिया में फैला है और उसी के साथ फैली है विक्रमशिला विश्वविद्यालय की ख्याति, कर्ण की दानवीरता की कहानियां, जदार्लू आम और कतरनी चावल की खुशबू, जैन तीर्थंकर वासुपूज्य की ख्याति, महर्षि मेहीं का अध्यात्म और ऐसी ही सैकड़ों चीजें.
- तीर्थंकर वासुपूज्य जी भगवान जब यमुना नदी से प्राप्त हुए सन 1957 से पहले यमुनापार क्षेत्र में शाहदरा, पटपड़गंज के अलावा कोई जैन मंदिर नहीं था, जैन श्रावको को दर्शनार्थ श्री लाल मंदिर जाना पड़ता था, महावीर जयंती के दिन सभी जैन परिवारों ने गाँधी नगर में जैन मंदिर की स्थापना हो ऐसा निर्णय लिया, [...]
- जिन २ ४ हुए हैं, जिनकी नाम ये हैं-ऋषभदेव, अजितनाथ, संभवनाथ, अभिनंदन, सुमतिनाथ, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, चंद्रप्रभ, सुविधिनाथ, शीतलनाथ, श्रेयांस-नाथ, वासुपूज्य स्वामी, विमलनाथ, अनंतनाथ, धर्मनाथ, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रत स्वामी, नमिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी ।
- -----संवाददाता, भागलपुर: स्त्री मात्र का त्याग कर देना करना सामान्य ब्रह्माचर्य है, पर उत्तम ब्रह्माचर्य बहुत ऊंची चीज है। ब्रह्माचर्य का अर्थ है मन, वचन और काया से पांचों इंद्रियों के विषयों का त्याग कर देना। स्पर्श इन्द्रिय के आठ, रसना के पांच, घृणा के दो, चक्षु के पांच, कर्ण के सात व मन का एक विषय। इन 28 विषयों का पूर्णयता त्याग करना ही ब्रह्माचर्य है। उक्त बातें बुधवार को श्री चम्पापुर दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र मंदिर में दशलक्षण महापर्व के अंतिम दिन भगवान वासुपूज्य निर्वाण महोत्स