विजयमोहन सिंह वाक्य
उच्चारण: [ vijeymohen sinh ]
उदाहरण वाक्य
- विजयमोहन सिंह की पुस्तकें चाय के प्याले में गेंद विजय मोहन सिंह पृष्ठ 117 मूल्य $ 12. 95चाय के प्याले में गेंदआगेबीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य विजयमोहन सिंह पृष्ठ 259 मूल्य $ 15.95प्रस्तुत ह बीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य....आगे
- विजयमोहन सिंह की पुस्तकें चाय के प्याले में गेंद विजय मोहन सिंह पृष्ठ 117 मूल्य $ 12. 95चाय के प्याले में गेंदआगेबीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य विजयमोहन सिंह पृष्ठ 259 मूल्य $ 15.95प्रस्तुत ह बीसवीं शताब्दी का हिन्दी साहित्य....आगे
- विजयमोहन सिंह और रवींद्र कालिया जिस ‘साठोत्तरी पीढ़ी ' के हैं, उस पीढ़ी का शायद ही कोई कहानीकार आज स्वयं को ‘साठोत्तरी कहानीकार' कहता या मानता हो, क्योंकि इस नाम की कहानी की कोई पहचान कभी बनी ही नहीं।
- जबकि नयी पीढ़ी के प्रति “सकारात्मक दृष्टिकोण” रखने की घोषणा करने वाले ‘साठोत्तरी ' आलोचक विजयमोहन सिंह ‘साठोत्तरी' संपादक रवींद्र कालिया द्वारा संपादित पत्रिका में लिख रहे हैं कि आज की कहानी पर ‘साठोत्तरी कहानी' का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है!
- 7 विजयमोहन सिंह जी ने प्रसिद्ध विद्वान एडमंड विल्सन जी के कथन का उदाहरण देते हुए शेखर: एक जीवनी की भाषा के प्रतीकात्मक प्रयोग तथा शिल्प की प्रशंसा करते हुए आगे कहते है कि अज्ञेय की भाषा में इसी प्रकार के प्रतीकवादी उपकरण मिलते हैं।
- जब सन् साठ के बाद की पीढ़ी ने लिखना शुरू किया था, तो अग्रज पीढ़ियों का भी यही नजरिया था।...ठीक इसी तरह आज कुछ बुजुर्ग आलोचक नितांत नयी पीढ़ी के प्रति सशंकित दिखायी देते हैं।...आलोचकों में विजयमोहन सिंह का दृष्टिकोण इस पीढ़ी के प्रति अवश्य सकारात्मक है।
- हिन् दी के प्रायः सभी नये-पुराने लेखक, कवि, कथाकार, नाटककार, आलोचक वहाँ उपस्थित हुए थे, शिवप्रसाद सिंह के साथ-साथ विश्वनाथ त्रिपाठी, विजयमोहन सिंह, अक्षोभ्येश्वरी प्रताप, विष्णुचंद्र शर्मा और विद्यासागर नौटियाल ने भी बनारस से आकर सम्मेलन में भागीदारी की थी।
- विजय कुमार की हजामत इस आधार पर बनायी गयी है कि वे कविता में युवा पीढ़ी को तवज्जो नहीं दे रहे और इसके लिए बचाव में खड़ा किया गया है विजयमोहन सिंह को, जबकि पत्रिका के ' प्रारंभ ' में ही विजयमोहन सिंह लिखते हैं-'...
- विजय कुमार की हजामत इस आधार पर बनायी गयी है कि वे कविता में युवा पीढ़ी को तवज्जो नहीं दे रहे और इसके लिए बचाव में खड़ा किया गया है विजयमोहन सिंह को, जबकि पत्रिका के ' प्रारंभ ' में ही विजयमोहन सिंह लिखते हैं-'...
- लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि नयी पीढ़ी हमसे प्रभावित है ; जबकि नयी पीढ़ी के प्रति “ सकारात्मक दृष्टिकोण ” रखने की घोषणा करने वाले ‘ साठोत्तरी ' आलोचक विजयमोहन सिंह ‘ साठोत्तरी ' संपादक रवींद्र कालिया द्वारा संपादित पत्रिका में लिख रहे हैं कि आज की कहानी पर ‘