विष्णुधर्मोत्तर वाक्य
उच्चारण: [ visenudhermotetr ]
उदाहरण वाक्य
- २ ८. १ २ (हनुमान द्वारा उदित होते हुए सूर्य के भक्षण की चेष्टा का कथन), ६. ८८. ५ (लक्ष्मण का हनुमान के पृष्ठ पर आरूढ होकर उदयाचल पर स्थित सूर्य के समान शोभा पाने का उल्लेख), विष्णु २. ८. १ ३ (विभिन्न दिशाओं में स्थित पुरियों में सूर्य के उदय-अस्त होने का वर्णन), विष्णुधर्मोत्तर १.
- इसके बाद विष्णु पुराण का उत्तरभाग प्रारम्भ होता है, जिसमें शौनक आदि के द्वारा आदरपूर्वक पूछे जाने पर सूतजी ने सनातन विष्णुधर्मोत्तर नामसे प्रसिद्ध नाना प्रकार के धर्मों कथायें कही है, अनेकानेक पुण्यव्रत यम नियम धर्मशास्त्र अर्थशास्त्र वेदान्त ज्योतिष वंशवर्णन के प्रकरण स्तोत्र मन्त्र तथा सब लोगों का उपकार करने वाली नाना प्रकार की विद्यायें सुनायी गयीं है, यह विष्णुपुराण है, जिसमें सब शास्त्रों के सिद्धान्त का संग्रह हुआ है।