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व्रजभाषा वाक्य

उच्चारण: [ verjebhaasaa ]

उदाहरण वाक्य

  1. भागवत से ही स्फूर्ति तथा प्रेरणा ग्रहण कर ब्रजभाषा के अष्टछापी (सूरदास, नंददास आदि) निबार्की (श्रीभट्ट तथा हरिव्यास) राधावल्लभीय (हित हरिवंश तथा हरिदास स्वामी) कवियों ने व्रजभाषा में राधाकृष्ण की लीलाओं का गायन किया।
  2. भागवत से ही स्फूर्ति तथा प्रेरणा ग्रहण कर ब्रजभाषा के अष्टछापी (सूरदास, नंददास आदि) निबार्की (श्रीभट्ट तथा हरिव्यास) राधावल्लभीय (हित हरिवंश तथा हरिदास स्वामी) कवियों ने व्रजभाषा में राधाकृष्ण की लीलाओं का गायन किया।
  3. सूरदास तथा अन्य व्रजभाषा के भक्त कवियों और वार्ताकारों ने भागवत पुराण के अनुकरण पर मथुरा के निकटवर्ती वन्य प्रदेश की गोप-बस्ती को ब्रज कहा है और उसे सर्वत्र ' मथुरा', 'मधुपुरी' या 'मधुवन' से प्रथक वतलाया है।
  4. सूरदास तथा अन्य व्रजभाषा के भक्त कवियों और वार्ताकारों ने भागवत पुराण के अनुकरण पर मथुरा के निकटवर्ती वन्य प्रदेश की गोप-बस्ती को ब्रज कहा है और उसे सर्वत्र ' मथुरा', 'मधुपुरी' या 'मधुवन' से प्रथक वतलाया है।
  5. कबीर (संवत् १ ५ ६ ०) के प्रसंग में कहा जा चुका है कि उनकी “ साखी ' की भाषा तो ” ” सधुक्कड़ी ' है, पर पदों की भाषा काव्य में प्रचलित व्रजभाषा है।
  6. प्रसाद ने काव्यरचना व्रजभाषा में आरंभ की और धीर-धीरे खड़ी बोली को अपनाते हुए इस भाँति अग्रसर हुए कि खड़ी बोली के मूर्धन्य कवियों में उनकी गणना की जाने लगी और वे युगवर्तक कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुए।
  7. प्रसाद ने काव्यरचना व्रजभाषा में आरंभ की और धीर-धीरे खड़ी बोली को अपनाते हुए इस भाँति अग्रसर हुए कि खड़ी बोली के मूर्धन्य कवियों में उनकी गणना की जाने लगी और वे युगवर्तक कवि के रूप में प्रतिष्ठित हुए।
  8. भागवत से ही स्फूर्ति तथा प्रेरणा ग्रहण कर ब्रजभाषा के अष्टछापी (सूरदास, नंददास आदि) निबार्की (श्रीभट्ट तथा हरिव्यास) राधावल्लभीय (हित हरिवंश तथा हरिदास स्वामी) कवियों ने व्रजभाषा में राधाकृष्ण की लीलाओं का गायन किया।
  9. घर के वातावरण के कारण साहित्य और कला के प्रति उनमें प्रारंभ से ही रुचि थी और कहा जाता है कि नौ वर्ष की उम्र में ही उन्होंने ' कलाधर' के नाम से व्रजभाषा में एक सवैया लिखकर 'रसमय सिद्ध' को दिखाया था।
  10. सूरदास तथा अन्य व्रजभाषा के भक्त कवियों और वार्ताकारों ने भागवत पुराण के अनुकरण पर मथुरा के निकटवर्ती वन्य प्रदेश की गोप-बस्ती को ब्रज कहा है और उसे सर्वत्र ' मथुरा ', ' मधुपुरी ' या ' मधुवन ' से प्रथक वतलाया है।
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