श्रीरामकृष्ण परमहंस वाक्य
उच्चारण: [ sheriraamekrisen permhens ]
उदाहरण वाक्य
- श्रीरामकृष्ण परमहंस निष्काम कर्मयोग के संबंध में स्पष्ट कहते हैं, “ ईश्वर के साथ किसी तरह से जुड़कर कर्म करते हुए जीना, यही कर्मयोग है ” ।
- एक बार जब उन्होंने गुरु श्रीरामकृष्ण परमहंस से मोक्ष के बारे में पूछा तो गुरु ने कहा, ‘‘ तू कितना स्वार्थी है रे! केवल स्वयं के बारे में सोचता है!
- तब एक पल को तो हम स्तब्ध रह गये, इतनी करुणा! वे श्रीरामकृष्ण परमहंस की ही भांति शिष्यों के कष्टों को अपने ऊपर ले लेते थे और उन्हें कष्ट से मुक्ति दिलाते थे।
- गुरू गोरखनाथ, अवधूत दतात्रेय, श्रीस्वामी, श्रीरामकृष्ण परमहंस, श्रीसाईबाबा, स्वामी समर्थ, तैलंग स्वामी, वामाखेपा, अघोरी कीनाराम, आचार्य श्रीरामशर्मा ये सभी परम संत, साधक, तथा स्वयं परमतत्व ही है।
- अवतार एक जहाज, एक जादूगर श्रीरामकृष्ण परमहंस कहा करते थे, ‘‘ सामान्यजन जिनने बैरागी का चोला तो पहन लिया है, साधु-महात्मा भी कहलाते हैं, सड़ी लकड़ी की तरह हैं, जो किसी भी नाली में फँस जाती है।
- यहाँ रुकने के लिए अनेक छोटी मोटी धर्मशालाएँ, स्वामी श्रीरामकृष्ण परमहंस का आश्रम, बरफानी बाबा का आश्रम, बाबा कल्याणदास सेवा आश्रम, जैन धर्मावलंबियों का सर्वोदय तीर्थ एवं अग्निपीठ, लोक निर्माण विभाग का विश्रामगृह, साडा का गेस्ट हाउस और म.प ् र.