संक्रामकता वाक्य
उच्चारण: [ senkeraamektaa ]
"संक्रामकता" अंग्रेज़ी में
उदाहरण वाक्य
- मच्छर के काटने से फैलने वाली इस बीमारी के स्वरूप और संक्रामकता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने पाया कि इस बीमारी से निपटने के लिए सरकारी उपायों के साथ-साथ लोगों में मलेरिया के प्रति जागरूकता भी आवश्यक है.
- सबसे पहले तो कविता की सुघड़ता पर रचनाकार, अपने मझले भैया सिद्धार्थ जी पर जां कुर्बान! फिर यह संक्रामकता दरअसल गिरिजेश जी से उदगमित हुयी और यहाँ अदृश्य दिख रही सरस्वती के साथ त्रिपथगा / त्रिवेणी बन रसिकों को रिझाने लग गयी है.
- * कुष्ठ रोग पूर्व जन्मों का प्रतिफल माना जाता है और इसे ठीक न होने वाला रोग समझकर इलाज भी नहीं किया जाता, जबकि आजकल यह रोग इलाज से पूर्णतः ठीक हो जाता है और इलाज शुरू करने पर रोग की संक्रामकता चली जाती है।
- 5 उम्मीद की यह संक्रामकता, पूछा जा सकता है कि क्या किसी राजनैतिक दृष्टि के बिना सम्भव थी? सच पूछा जाये, तो यह आशावाद राजनीतिक संवेदना को काव्य-संवेदना की बुनावट में अभिन्न रूप से संयोजित कर लिये जाने के कवि-कौशल का परिणाम था।
- कहते हैं संक्रामकता की अपनी डिग्री के लिए काफी कम माना जा रहा है, लेकिन एक एहतियात के रूप में सीडीसी, विश्व स्वास्थ्य और यूरोप में संगठन राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए 70 के लिए खोज रहे हैं 80 लोगों को जो लंबे, ट्रांस अटलांटिक उड़ानों पर उसके पास बैठ गया.
- शायद पसंद नापसंद के अनिर्णय की स्थिति बहुतों की होती है मगर होली की संक्रामकता ऐसी होती ही है कि आप किसी निर्णय पर पहुंचे इसके पहले ही इसके चपेट में आ जाते हैं-जैसे आपकी पोस्ट ने इस दिशा में संवेदनशीलता ट्रिगर कर दी है-हैपी होली! रही अबीर लगाने की बात तो..
- इस कृति में योगेश कुमार गोयल के कुल 25 आलेखों को संजोया गया है, जिनमें साम्प्रदायिक एवं जातीय प्रदूषण, न्याय व्यवस्था की कछुआ चाल और हास्यास्पद निर्णय, बोरवैलों में गिरकर होने वाली नवजातों की अकाल मृत्यु, सिसकते बचपन, बालश्रम, पुलिस का नंगा नाच, असुरक्षा और आतंक का फैलता सुरसा गात, शिक्षण संस्थानों में रैगिंग का दंश, पेय पदार्थों में घुली विष भरी मृत्यु, एड्स की संक्रामकता, धार्मिक अंधविश्वासों का फैलता जाल, ‘
- मित्रों, मेरी गुजारिश है प्रेम का आतंक यहाँ मत शुरू करें-यह एक बहुत ही सुकोमल नाजुक अनुभूति है.होली की उद्धतता कभी कभी शालीनता की सारी हदे पार कर जाता है और बात बनने के बजाय बिगड़ जाती है.मुझे डर है कि कहीं मैं भी संक्रामकता के चपेट में आकर हुडदंगीं न बन जाऊं और अपना भी कुछ नुक्सान कर डालूँ-पहले के ही भारी नुक्सान की अभी भरपाई नहीं हो पाई है.तो यह मेरा डर ही आज यह अपील करवा रहा है मुझसे.....