संगमयुग वाक्य
उच्चारण: [ sengameyuga ]
उदाहरण वाक्य
- मुरली सार:-“ मीठे बच्चे-संगमयुग ब्राह्मणों के लिए कल्याणकारी है इसलिए सदा फखुर में रहना है, किसी बात का फिक्र नहीं करना है ” प्रश्न:-जिनकी अवस्था अच्छी है, उनकी निशानियां क्या होंगी? उत्तर:-उन्हें किसी भी बात में रोना नहीं आयेगा।
- मुरली सार:-“ मीठे बच्चे-यह संगमयुग है ब्राह्मणों की पुरी, इसमें तुम ब्रह्मा के बच्चे बने हो, तुम्हें बेहद के बाप का वर्सा लेना है और सभी को दिलाना है ” प्रश्न:-इस ज्ञान को अच्छी रीति समझने के लिए किस प्रकार की बुद्धि चाहिए? उत्तर:-व्यापारी बुद्धि वाले ही इस ज्ञान को अच्छी रीति समझेंगे।
- भारत में गीता की मान्यता माता के रूप में भी है, किंतु भगवान शिव द्वारा वर्तमान समय दिए जा रहे ईश्वरीय ज्ञान में इस बात का भी स्पष्टीकरण दिया गया है कि गीता केवल ज्ञान का प्रतीक पुस्तक ही नहीं, अपितु एक चैतन्य मनुष्यात्मा का भी प्रतीक है, जो कि वर्तमान संगमयुग में ईश्वरीय परिवार की पालना करने के लिए प्रजापिता के साथ जगदंबा की भूमिका अदा कर रही है।
- आत्मारूपी अभिनेता और प्रकृति इस नाटक में भाग लेनेवाली दो विनाशी शक्तियां हैं अतः नाटक भी अविनाशी होना चाहिए | नाटक कभी किसी के द्वारा नहीं रचा गया है, परन्तु इसमें एक प्रकार की शूटिंग का समय निश्चित होता है | वह नाटक का अंतिम १ ०० साल हैं जो कलियुग और सत्युग के बीच परिवर्तन का समय है जिसको संगमयुग कहते हैं | तब निर्देशक भी रंग-मंच पर मौजूद होता है |
- गीता के संबंध में उपर्युक्त मत, जो कि आम धारणा से पूर्णतया भिन्न है, ब्रह्माकुमारी संस्था के साथ-साथ कंपिला, उत्तर प्रदेश स्थित आध्यात्मिक ईश्वरीय विश्वविद्यालय का भी यही मत है कि सन् 1936-37 से प्रारंभ हुए पुरुषोत्तम संगमयुग पर निराकार भगवान शिव द्वारा अपने अति साधारण साकार मनुष्य रथ के द्वारा सुनाया गया ईश्वरीय ज्ञान, जिसे मुरली कहा जाता है, वही सच्ची गीता है, जिसके आधार पर ढाई हज़ार साल बाद प्रारंभ होने वाले द्वापरयुग में, संस्कृत की गीता लिखी जाएगी।
- वरदान:-अपने फीचर द्वारा अनेकों का फ्युचर श्रेष्ठ बनाने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव बोलने की सेवा तो यथाशक्ति समय प्रमाण करते ही हो लेकिन संगमयुग का जो फ्युचर फरिश्ता स्वरूप है, वह आपके फीचर्स से दिखाई दे तब सहज सेवा कर सकते हो | जैसे जड़ चित्र फ़ीचर्स द्वारा अन्तिम जन्म तक सेवा कर रहे हैं ऐसे आपके फ़ीचर्स में सदा सुख की, शान्ति की, ख़ुशी की झलक हो तो श्रेष्ठ सेवा कर सकेंगे | आपके फ़ीचर्स को देखकर कैसी भी दुःखी अशान्त, परेशान आत्मा अपना श्रेष्ठ फ्युचर बना लेगी |