संस्कृत वाङ्मय वाक्य
उच्चारण: [ sensekrit vaanegmey ]
उदाहरण वाक्य
- संस्कृत वाङ्मय में योग को चेतना की कुंजी बताया गया है तथा समस्त ब्रह्माण्ड के रहस्य को योग एवं उपनिषदों के द्वारा जाना जा सकता है.
- संस्कृत वाङ्मय के ग्रन्थ अथवा साहित्यिक रचनायें अथवा उनसे प्रेरित श्रृंगारिक कवियों की श्रृंगारिक भाषायी रचनाओं से लेकर आधुनिकता का लिबास ओढ़े चोली के पीछे क्या है ….
- प्रथम वृक्ष जाति को, जो प्राचीनों का संभवत: वास्तविक करंज है, संस्कृत वाङ्मय में नक्तमाल, करंजिका तथा वृक्षकरंजादि और लोकभाषाओं में डिढोरी, डहरकरंज अथवा कणझी आदि नाम दिए गए हैं।
- प्रथम वृक्ष जाति को, जो प्राचीनों का संभवत: वास्तविक करंज है, संस्कृत वाङ्मय में नक्तमाल, करंजिका तथा वृक्षकरंजादि और लोकभाषाओं में डिढोरी, डहरकरंज अथवा कणझी आदि नाम दिए गए हैं।
- भारत के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, अध्यात्मिक, दर्शनिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन एवं विकास के सोपानों की संपूर्ण व्याख्या संस्कृत वाङ्मय के माध्यम से आज उपलब्ध है।
- (३) कामशास्त्र का इतिहास 'डाँ० त्रिपाठी' द्वारा यह ग्रन्थ उत्तर-प्रदेश संस्कृत सस्थान, लखनऊ द्वार प्रायोजित बृहद् परियोजना के अन्तर्गत संस्कृत वाङ्मय का बृहद् इतिहास, अष्टादश खण्ड के उपखण्ड के रूप में लिखा गया है।
- (३) कामशास्त्र का इतिहास 'डाँ० त्रिपाठी' द्वारा यह ग्रन्थ उत्तर-प्रदेश संस्कृत सस्थान, लखनऊ द्वारा प्रायोजित बृहद् परियोजना के अन्तर्गत संस्कृत वाङ्मय का बृहद् इतिहास, अष्टादश खण्ड के उपखण्ड के रूप में लिखा गया है।
- अब उन्होंने गुजरात के पारडी नामक गाँव को अपना निवास्थान बनाया और स्वाध्याय मंडल की पुन: स्थापना कर वेदादि प्राचीन संस्कृत वाङ्मय के परिष्कार एवं प्रचारप्रसार के पुनीत कार्य में और भी अधिक दृढ़ता से संलग्न हो गए।
- प्रसंगवश यह भी जान लिया जाए कि वैदिक शुक्र का समरूप फ़ारसी में सुर्ख तो बनता है मगर संस्कृत वाङ्मय की ज्योतिषीय शब्दावली वाले शुक्र तारे के अर्थ में शुक्र के सुर्ख़ समरूप का कोई अर्थ नहीं है ।
- प्र संगवश यह भी जान लिया जाए कि वैदिक शुक्र का समरूप फ़ारसी में सुर्ख तो बनता है मगर संस्कृत वाङ्मय की ज्योतिषीय शब्दावली वाले शुक्र तारे के अर्थ में शुक्र के सुर्ख़ समरूप का कोई अर्थ नहीं है ।