सगीना वाक्य
उच्चारण: [ segainaa ]
उदाहरण वाक्य
- इन गीतों के आलावा सचिन दा ने Eight Days, ताजमहल, प्रेम पुजारी, तेरे मेरे सपने, ज़िंदगी ज़िंदगी व सगीना जैसी फिल्मों में भी पार्श्व गायक की भूमिका अदा की पर इन फिल्मों के लिए उनके गाए गीत उतने चर्चित नहीं रहे।
- इसके बाद उन्होंने ‘ गोपी ', ‘ सगीना ', ‘ बैराग ' जैसी हिट फिल्मों में दिलीप कुमार के साथ काम किया. ‘ शागिर्द ', ‘ दीवाना ', ‘ चैताली ' जैसी फिल्मों में सायरा बानो का अभिनय बहुत अच्छा रहा.
- इस समारोह में अभिनेता दिलीप कुमार ने कादर खान के अभिनय से काफी प्रभावित हुए और उन्हें अपनी फिल्म ‘ सगीना ' में काम करने का प्रस्ताव दिया.1983 में प्रदर्शित फिल्म ‘ कुली ' कादर खान के करियर की सुपरहिट फिल्मों में शुमार की जाती है.
- केस नम् मर टू: सगीना महतो के खपरे पर तैयार, बतिया जेतनो लवकी था, सब मालूम नहीं केकरा घर का चोर-पाल् टी रहा, बरसाती का अंधारा में जाने कब लुकाके कवन जतन कब खपरा पे चढ़ा, खपरे का टोटल लवकी खजाना खला स.
- कवि कहानी (1964), बाकी इतिहास (1965), तीसरी शताब्दी (1966), यदि फिर एक बार (1966), पगला घोड़ा (1967), अंत नहीं (1970), सगीना मेहता (1970), अबू हसन (1971), मिछिल-जुलूस (1974) आदि।
- प्रत्युत्तर देंहटाएंउत्तरमनोज कुमारमंगलवार, जुलाई 31, 2012गिरिजा जी, आपके इस प्रश्न पर मुझे सगीना माहतो का गया गीत बरबस याद आ गया, शायद वह भी एक उत्तर हो इस प्रश्न का-“ऊपर वाला दुखियों की नाही सुनता रे!कौन है जो उसको गगन से उतारे!!?”हटाएंप्रत्युत्तर देंसतीश सक्सेनाशुक्रवार, जुलाई 27, 2012शायद इसीलिए मुझे इन पर भरोसा ही नहीं रहा...आभार!प्रत्युत्तर देंहटाएं
- मशाल मार्च में लापता बच्ची के परिजन संदीप, बलवान, सुभाष, शेशापाल, राजू, इंद्रजीत, राज, विनोद, ङ्क्षरकू, हरदेवा, सावित्री देवी, कमलेश, समेरो व श्रमिक नेता मंगल, लक्ष्मी नारायण, सूबेदार, सगीना, नरेंद्र व क्लब महासचिव स्वतंत्र कुकरेजा, हिमांशू खरबंदा, लखन कामरा समेत सैकड़ों लोग शामिल थे।
- बड़ी बुआजी, राम-श् याम-जदु, एवम इंद्रजि त, सारी रात, वल् लभपुर की रूपकथा, बाकी इति हास, पगला घोड़ा, अंत नहीं, सगीना महतो, जुलूस, घेरा, अबू हसन, यदि एक बार फि र से, बासी खबर, बीज नाटक, कवि कहानी, तीसवीं सदी, भोमा आदि उनके प्रसि द्ध नाटक हैं.
- एबम इंद्रजीत, बाकी इतिहास, प्रलाप,त्रिंगशा शताब्दी, पगला घोडा, शेष नाइ, सगीना महतो,जुलूस, भोमा, बासी खबर और स्पार्टाकस(अनूदित)जैसे उनके नाटक भारतीय थियेटर को विशिष्ट पहचान तो देते ही हैं, लेकिन उससे भी बडी बात यह है कि बादल दा के नाटक किसान, मजूर, आदिवासी, युवा, बुद्धिजीवी, स्त्री, दलित आदि समुदाय के संघर्षरत लोगों के साथी हैं, उनके सृजन और संघर्ष में आज ही नहीं, कल भी मददगार होंगे,उनके सपनॉ के भारत के हमसफर होंगे.
- बेशुमार फिल्मों में उनके अभिनय, कलात्मकता और कथाशिल्प के साथ साथ संवाद अदायगी के लिये यादगार कुछ नाम चुनिंदा हीरों के रूप में पेश हैं-जुगनू 1947, शहीद 1948, बाबुल 1950, दीदार 1951, आन-दाग 1952, उड़न खटोला 1955, नया दौर 1957, मधुमती-यहूदी 1958, कोहिनूर-मुगल-ए-आजम 1960, लीडर 1964, राम और श्याम 1967, सगीना 1970, शक्ति 1982 सहित दिल दिया दर्द लिया, अंदाज, आरजू, जोगन, देवदास, मेला, संघर्ष आदि …. ।