सत युग वाक्य
उच्चारण: [ set yuga ]
उदाहरण वाक्य
- द्वापर में ' कृष्ण ', त्रेता में ' राम ', और सत युग में ' शिव '-जिनकी अर्धांगिनी राधा, सीता और पार्वती (दुर्गा भी) कहा गया...
- किन्तु मानव ही ऐसा जीव है (वर्तमान में, या सत युग को छोड़ अन्य युगों में?) जिसको यह पता ही नहीं है कि वो यहाँ, पृथ्वी में, क्यूँ आया हुआ है?
- कलि युग का अर्थ है मनुष्य की सुप्तावस्था, जब वह जंभाई लेता है तब द्वापर की स्थिति में होता है, खड़े होने पर त्रेता और कर्मरत होने पर सत युग की अवस्था में आ जाता है।
- “ऐसा प्रतीत होता है कि प्राचीन भारत में किसी काल में, संभवतः अथक प्रयास द्वारा विचार-शून्य स्तिथि पर पहुँच, योगियों ने जो ध्यान लगा जाना, उसीके आधार पर उन्होंने सत युग से कलियुग तक चलने वाले (अथवा प्रतीत होते?)
- शास्त्रों में कहा गया है सत युग में जो पुण्य तप से मिलता है, द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अन्नंत पुण्यदायी होता है.
- यह एक दम जाली काम था तथा यह इस बात से स्पष्ट हो गया कि महर्षि अत्रि सत युग के ब्रह्मा के 10 पुत्रों में से थे तथा उनका आखिरी अस्तित्व चित्रकूट में सीता अनुसूया संवाद के समय तक अस्तित्व में था।
- पहले सत युग में प्रभु को पाने के लिए ध्यान आदि लगाते हुए मानव को बडे कठिन प्रयास करने की आवश्यकता होती थी तो त्रेतायुग में प्रभु योग से मिलते थे और द्वापर युग में कर्मकांड ही प्रभु प्राप्ति का मार्ग था।
- पहले सत युग में प्रभु को पाने के लिए ध्यान आदि लगाते हुए मानव को बडे कठिन प्रयास करने की आवश्यकता होती थी तो त्रेता युग में प्रभु योग से मिलते थे और द्वापर युग में कर्मकांड ही प्रभु प्राप्ति का मार्ग था।
- पहले सत युग में प्रभु को पाने के लिए ध्यान आदि लगाते हुए मानव को बडे कठिन प्रयास करने की आवश्यकता होती थी, तो त्रेता युग में प्रभु योग से मिलते थे और द्वापर युग में कर्मकांड ही प्रभु प्राप्ति का मार्ग था।
- शास्त्रों में कहा गया है सत युग में जो पुण्य तप से मिलता है, द्वापर में हरि भक्ति से, त्रेता में ज्ञान से, कलियुग में दान से लेकिन माघ मास में संगम स्नान हर युग में अन्नंत पुण्यदायी होता है.