समुद्र मन्थन वाक्य
उच्चारण: [ semuder menthen ]
उदाहरण वाक्य
- ' ' (पदम पुराण उत्तर खण्ड 122 / 5) दूसरी कथा देव-दानवों द्वारा समुद्र मन्थन से अमृत-कलश लिये प्रकट होने वाले धन्वन्तरि से सम्बद्ध है जिन्होंने यमभाग पाने के लिये भगवान नारायण से याचना की थी।
- वासुकी नाग रूपी रस्सी तथा विशाल मन्दराचल पर्वत की मथानी बनाकर समुद्र मन्थन आरम्भ हुआ जिसमें कालकूल विष, कामुधेन गाय, ऐरावत हाथी, लक्ष्मी सहित अनेक दुर्लभ रत्नों के बाद अमृत कलश का प्रार्दुभाव हुआ।
- समुद्र मन्थन के समय अमृतघट के बँटवारे पर जब देवताओं और असुरों में झगड़ा हो रहा था, तब भी विष्णु ने माया-मोहिनी का रूप बनाकर असुरों को धोखे में रखा और अमृत देवताओं को पिला दिया।
- लेकिन योजना यह थी कि दैत्यों के साथ मित्रता होने पर उन्हें समुद्र मन्थन के लिए मनाया जाए और वहां से प्राप्त होने वाले अमृत का पान कर के अमर हो जाया जाय फिर दैत्यों का सर्वनाश कर दिया जाए।
- हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मन्थन के बाद जब विश्वकर्माजी अमृत के लिए झगड़ रहे देव-दानवों से बचाकर अमृत ले जा रहे थे तो पृथ्वी पर अमृत की कुछ बूँदें गिर गई, और वे स्थान धार्मिक महत्व वाले स्थान बन गए।
- हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मन्थन के बाद जब विश्वकर्माजी अमृत के लिए झगड़ रहे देव-दानवों से बचाकर अमृत ले जा रहे थे तो पृथ्वी पर अमृत की कुछ बूँदें गिर गई, और वे स्थान धार्मिक महत्व वाले स्थान बन गए।
- समुद्र मन्थन से निकले रत्नो मे से एक यही है जो कलयुग मे तक उपलब्ध है, सुरा जो वर्तमान मे शराब के नाम से भी जानी जाती है जो आज तक धर्म, जाति,देश,भाषा मे नही बटी है.
- अब यदि कोई मेरे जैसा साधारण बुद्धि का व्यक्ति पढ़ेगा तो आपके बारे में यही सोचेगा कि पण्डित जी अपनी प्यास बुझाने का बहाना खोजने के लिए शास्त्रों का समुद्र मन्थन कर आये हैं और मद्य निषेध के तमाम श्लोकों को दरकिनार करते हुए ई वाला खोज लाए हैं।
- लेकिन इनका अन्वेषण करने हेतु वैदिक परिभाषाओं का ज्ञान होना ही परमावश्यक है, ताकि स्थूल वर्णनों के मूल में निहित परोक्ष अर्थों को यथार्थ रीति से जाना जा सकें-पिछली पोस्ट में हमने “ सोम ” के सन्दर्भ में आपके सामने समुद्र मन्थन का उपाख्यान प्रस्तुत किया था.
- पौराणिक आख्यान के अनुसार देवताओं एवं राक्षसों द्वारा अमृत की आकांक्षा से किये गये समुद्र मन्थन से निकले चौदह रत्नों में से एक रत्न भगवान् धन्वन्तरि की उत्पत्ति के रूप में माना जाता है, जिनके एक हाथ में अमृत कलश्ा तथा दूसरे हाथ में वनौषधियॉ व आयुर्वेद शास्त्र धारण किया हुआ था।