सरस सलिल वाक्य
उच्चारण: [ sers selil ]
उदाहरण वाक्य
- तब दिल्ली से ही प्रकाशित दिल्ली प्रकाशन की पत्रिका सरस सलिल, मामूली दाम और मसालेदार कहानियों व तस्वीरों के कारण हिन्दी प्रदेशों में काफी लोकप्रिय हो रही थी।
- सच्ची कहानियां, मनोहर कहानियां, नूतन कहानियां, तुलसी कहानियां, सरस सलिल, सरिता व अन्य दर्जनों राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कहानियां, फीचर और लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
- पचास के करीब कहानियां, कवितायें व लघु-कथायें विभिन्न पत्र-पत्रिका जैसे पंजाब केसरी,आज, दैनिक भाष्कर, दैनिक नवज्योति, स्वतंत्र वार्ता, हिन्दी मिलाप व सरस सलिल इत्यादि में प्रकाशित।
- जहाँ तक पत्रिकाओं के पाठकों की बात है तो यह याद दिलाना चाहुँगा कि सरस सलिल सालों से हिन्दी की कई स्वनामधन्य पत्रिकाओं को पाठक संख्या के आधार पर धूल चटा रही है।
- यह 9 भाषाओं में 31 पत्रिकाओं का प्रकाशन करता है, जिसमें देश में सबसे बड़े नामों में से कुछ गृहशोभा, वुमेन एरा, सरिता, सरस सलिल और चंपक प्रमुख हैं।
- 2012 की पहली तिमाही में सरस सलिल के पाठकों की संख्या 16 लाख 1 हजार थी वहीं दूसरी तिमाही में इसके पाठकों की संख्या घटकर 15 लाख 48 हजार हो गई है.
- जहां तक पत्रिकाओं के पाठकों की बात है, तो यह याद दिलाना चाहूंगा कि सरस सलिल सालों से हिंदी की कई स्वनामधन्य पत्रिकाओं को पाठक संख्या के आधार पर धूल चटा रही है।
- इनके लेख समय समय पर देश के समाचार पत्र पत्रिकाओ (जैसे: जनमोर्चा, हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, सरस सलिल, पुलिस टुडे, क्राइम तहकीकात,) में छपते रहे है।
- ऊपरी तौर पर रंगनाथजी का ये उदाहरण बहुत ही सटीक लगता है कि सही में अगर ज़्यादा ही बिकना आधार है तो फिर गुलशन नंदा महान क्यों नहीं, सरस सलिल सबसे बेहतर पत्रिका क्यों नहीं।
- एवरेज इश्यू रीडरशिप के अनुसार दूसरी तिमाही में सरस सलिल, मेरी सहेली, क्रिकेट सम्राट, इंडिया टुडे, गृहलक्ष्मी, गृहशोभा और चंपक के पाठकों की संख्या में कमी दर्ज की गई है.