सरोज पांडे वाक्य
उच्चारण: [ seroj paaned ]
उदाहरण वाक्य
- उस समय द संडे इंडियन से चर्चा में सरोज पांडे ने स्वीकारा था कि मंत्रियों से कई शिकायतें करने के बाद भी जब कोई हल नहीं निकला तो मजबूरन उन्हें यह कदम उठाना पड़ा.
- आज प्रदेश भाजपा कार्यालय में हुई महिला मोर्चा की बैठक में मोर्चा की राष्टï्रीय अध्यक्ष सरोज पांडे, प्रदेशाध्यक्ष लता वानखेड़े, प्रदेश महामंत्री एवं मोर्चा प्रभारी माया सिंह सहित लगभग सभी पदाधिकारी मौजूद थे।
- भाजपा सांसद तथा राष्ट्रीय सचिव सरोज पांडे को भी ऐसी ही परिस्थिति से दो-चार होना पड़ा था जिसके बाद सांसद और उनके समर्थकों ने टोल प्लाजा में तोड़-फोड़ करते हुए कर्मचारियों को खासा सबक सिखाया था.
- लोकसभा में अर्जुन राम मेघवाल और सरोज पांडे के प्रश्न के लिखित उत्तर में रक्षामंत्री एके एंटनी ने... अब 'आप' से सीखेंगे राहुल गांधीसोनिया गांधी नेताओं के साथ करेंगी हार की समीक्षानारायण साईं को है गुप्त रोग!
- प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अनंत कुमार की मौजूदगी में हुए सम्मेलन को प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोज पांडे, सुधा मलैया, सुमित्रा महाजन और लता वानखेड़े ने भी संबोधित किया।
- कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा, दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हर्षव र्द्धन, छत्तीसगढ़ से सरोज पांडे, राजस्थान से किरण माहेश्वरी और मध्य प्रदेश से प्रभात झा और उमा भारती को टीम में जगह मिली है।
- भोपाल-भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सरोज पांडे ने महिलाओं और बालिकाओं के साथ बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि इन वारदातों के आरोपियों को सार्वजनिक स्थलों पर फांसी पर लटकाया जाना चाहिए।
- इनके समक्ष कांग्रेस ने तथाकथित स्थानीय वाद के प्रतीक स्वरूप प्रदीप चौबे को उम्मीदवार बनाया था और स्थानीय उम्मीदवार के तौर पर तीसरे दल के ताराचंद साहू उम्मीदवार थे, इन स्थानीय मतों के विभाजन से भाजपा प्रत्याषी सरोज पांडे विजयी रहीं ।
- उन्हे पार्टी से निकाला और ताराचन्द ने छत्तीसगढ़ी और गैर छत्तीसगढ़ी, आतंक राज का जो अस्त्र प्रेमप्रकाश के लिए विधानसभा चुनाव में उपयोग किया था वही अस्त्र लोकसभा चुनाव में पिछले तीन महिने से सरोज पांडे के लिए उपयोग कर रहे हैं।
- इसके विपरीत फार्मूले पर विधानसभा चुनाव में सरोज पांडे के खिलाफ बृजमोहनसिंह दोनों बाहरी प्रत्याषियों केबीच चुनाव हुआ था, कुल मिलाकर यह कहा जाय कि स्थानीय और बाहरी की लड़ाई कोई मायने नहीं रखती, मायने रखते हैं तो स्थानीय चुनावों में समीकरण, परिस्थितियां,राश्ट्रवाद और राश्ट्रप्रेम का झंडा बुलंद रखना ।