सामा-चकेवा वाक्य
उच्चारण: [ saamaa-chekaa ]
उदाहरण वाक्य
- सामा-चकेवा के अभिनय काल में कुवांरी लड़कियाँ चंगेरे में मिट्टी के विभिन्न पात्रों को रखकर, दीप जलाकर अपने-अपने सिर पर रखकर खेतों की ओर नाचती-गाती निकल पड़ती हैं और वहां रखकर अभिनय करती हैं।
- रक्षा बंधन, भाई-दूज, यम दुतिया, भाई-फोटा, भर दुतिया, आदि की तरह के भाई-बहन के अटूट प्रेम पर आधारित इस पर्व में सामा-चकेवा के खेल से बहनें भाई की सुख-समृद्धि और दीर्घायु होने की कामना करती हैं।
- यूथ ऑफ मिथिला आ माटी के आयोजन में भ ' रहल सामा-चकेवा-2011 के हकार दैत छी, आहां सबस' आग्रह जे सपरिवार उपस्थित भ' विलुप्तक कगार पर जा रहल अपन संस्कृति के महान लोकपर्वक पूर्णिमा के सामूहिक रूपे मनाबी.
- भले ही पाश्चात्य संस्कृति के आक्रमण से देश-गांव अछूता नहीं है, फिर भी लोक-आस्था और लोकाचार की प्राचीन परंपरा से जुड़े भाई-बहनों के बीच स्नेह का लोकपर्व सामा-चकेवा मिथिलांचल में आज भी काफ़ी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
- सामा चकेवा २०११ के हकार यूथ ऑफ मिथिला आ माटी के आयोजन में भ ' रहल सामा-चकेवा-2011 के हकार दैत छी, आहां सबस' आग्रह जे सपरिवार उपस्थित भ' विलुप्तक कगार पर जा रहल अपन संस्कृति के महान लोकपर्वक पूर्णिमा के सामूहिक रूपे मनाबी.
- वही संगठन के प्रवकता सह उपाध्यक्ष कमलेश किशोर झा ने सामा-चकेवा के पारंपरिक गीत को सम स्थानिक बनाते हुए कहा कि “साम चक साम चक अई हे जोतला खेत में बैसी ह हे”. के स्थान पर सामूहिक रूप से कहिये “ साम चक, साम चक अईह हे,बिरला मंदिर वाटिका में बैसिह हे”.
- विसर्जन के दौरान महिलाएं सामा-चकेवा से फिर अगले वर्ष आने का आग्रह करती हैं और गाती हैं साम-चक हो साम चक हो अबिह हे जोतला खेत में बैसिह हे सब रंग के पटिया ओछबिइह हे भैया के आशीष दिह हे विसर्जन के बाद ये महिलाएं चुगलखोर प्रकृति वाले लोगों को शाप भी देती हैं।
- वही संगठन के प्रवकता सह उपाध्यक्ष कमलेश किशोर झा ने सामा-चकेवा के पारंपरिक गीत को सम स्थानिक बनाते हुए कहा कि “ साम चक साम चक अई हे जोतला खेत में बैसी ह हे ”. के स्थान पर सामूहिक रूप से कहिये “ साम चक, साम चक अईह हे, बिरला मंदिर वाटिका में बैसिह हे ”.
- अरे जुबना का सब रस ले भागा, अरे जोबना का सब रस ले भागा नक्बेसर कागा ले भागा अरे मोरा सैंयां अभागा ना जागा, उड उड कागा मोरे करधन पे बैठा अरे करधन पे बैठा, अरे मेरी जोबना का सब रस ले भागा मोरा अरे नक्बेसर कागा ले भागा अरे मोरा सैंयां अभागा ना जागा, सामा-चकेवा में ही नहीं,हर जगह हैं चुगलखोर?
- भाई-बहिन के अद्भुत प्रेम का लोक उत्सव सामा-चकेवा का आयोजन यूथ ऑफ़ मिथिला कि ओर से किया गया था. मिथिला के साहित्य व संस्कृति को लेकर सक्रिय मैथिली युवा संगठन यूथ ऑफ़ मिथिला कि और से दिल्ली में पहली बार सामा-चकेवा का आयोजन किया गया.कार्यक्रम के दौरान मैथिलानीयो के गीत नाद और मैथिल जनो के उत्साह को देखकर ऐसा लग रहा था मानो बिरला मंदिर वाटिका में मिथिला का गाव जीवित हो गया हो..