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सोहनी महिवाल वाक्य

उच्चारण: [ soheni mhivaal ]

उदाहरण वाक्य

  1. फिल्म बेताब की सफलता के बाद सन्नी देवोल को सोहनी महिवाल, मंजिल मंजिल, सन्नी, जबरदस्त जैसी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला लेकिन इनमें से कोई फिल्म टिकट खिड़की पर कामयाब नहीं हो सकी।
  2. शुरूवात की उनकी पहली फिल्म बेताब के गीत से, इसके बाद सोहनी महिवाल फिल्मो के रोमांटिक गीतों के साथ त्रिदेव का तिरछी टोपी वाले गीत, शरारती गीत भी शामिल थे-चालबाज फिल्म से और यह गीत-
  3. दूसरा गीत राग भैरवी पर आधारित था सोहनी महिवाल फिल्म से-चाँद छुपा और तारे डूबे रात गजब की आई और समापन किया उस्ताद अमीर खां की आवाज में शास्त्रीय पद्धति में ढले झनक झनक पायल बाजे फिल्म के शीर्षक गीत से।
  4. ये वो चेनाब है जिसके बारे में कहा जाता है कि सोहनी महिवाल से मिलने कच्चे घड़े पर ये दरिया पार किया करती थी, आज पानी इतना कम है कि अगर वो आए तो सिर पर घड़ा रखकर नदी को पार कर जाएगी।
  5. दूसरा गीत राग भैरवी पर आधारित था सोहनी महिवाल फिल्म से-चाँद छुपा और तारे डूबे रात गजब की आई और समापन किया उस्ताद अमीर खां की आवाज में शास्त्रीय पद्धति में ढले झनक झनक पायल बाजे फिल्म के शीर्षक गीत से।
  6. शुरूवात की उनकी पहली फिल्म बेताब के गीत से, इसके बाद सोहनी महिवाल फिल्मो के रोमांटिक गीतों के साथ त्रिदेव का तिरछी टोपी वाले गीत, शरारती गीत भी शामिल थे-चालबाज फिल्म से और यह गीत-मैं निकला गड्डी लेके एक मोड़ आयागानों के चुनाव में अच्छी विविधता रही।
  7. पर ज़िन्दगी अनुत्तरित प्रश्न बनकर कभी घनी अमराइयों से गुजरती है, कभी हीर की कहानी बनती है कभी चनाब के पानी से सोहनी महिवाल का रूप लिए प्यार के गीत गाती है, कभी नन्हें पदचिन्हों से चेहरा सटाकर बैठती है, कभी पर्वतों पर बादल बनकर उतरती है, कभी वादियों से आवाज़ बनकर झंकृत होती है............ आगे पढ़ें ॥
  8. शालीमार और सोहनी महिवाल (1946), दुनिया एक सराय, लुटेरा, नील कमल, जंजीर (1947)..लैला मजनू, नया घर (1953), आदमी (1957), दो मस्ताने (1958) से सांवरिया(2007) तक बेगम पारा का अभिनय सिनेमा की सुन्दर कहानी है शालीमार और सोहनी महिवाल (1946), दुनिया एक सराय, लुटेरा, नील कमल, जंजीर (1947)..लैला मजनू, नया घर (1953), आदमी (1957), दो मस्ताने (1958) से सांवरिया(2007) तक बेगम पारा का अभिनय सिनेमा की सुन्दर कहानी है ।
  9. शालीमार और सोहनी महिवाल (1946), दुनिया एक सराय, लुटेरा, नील कमल, जंजीर (1947)..लैला मजनू, नया घर (1953), आदमी (1957), दो मस्ताने (1958) से सांवरिया(2007) तक बेगम पारा का अभिनय सिनेमा की सुन्दर कहानी है शालीमार और सोहनी महिवाल (1946), दुनिया एक सराय, लुटेरा, नील कमल, जंजीर (1947)..लैला मजनू, नया घर (1953), आदमी (1957), दो मस्ताने (1958) से सांवरिया(2007) तक बेगम पारा का अभिनय सिनेमा की सुन्दर कहानी है ।
  10. पिछले ६० सालो के भारतीय आज़ादी के इतिहास में क्या ऐसी कोई फिल्म नहीं बनी जो मुख्य धारा में आस्कर जितने में कामयाब नहीं रही? लैला मजनू, सोहनी महिवाल, हीर राँझा, उमराव जान, शोले, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, साजन, हम आपके है कौन, ग़दर, चक दे इंडिया और हाल की रिलीज फिल्म गजनी ने बॉक्स ऑफिस पैर सभी रिकॉर्ड तोडे, तब क्यों नहीं आस्कर दिया गया?
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