हरमंदिर साहब वाक्य
उच्चारण: [ hermendir saaheb ]
उदाहरण वाक्य
- पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है | सिक्खों के 10वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था| प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं|
- पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है | सिक्खों के 10 वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था | प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं |
- पिछली पोस्ट में आपको बताया था कि किस तरह हमारा पटना के विख्यात तख्त श्री हरमंदिर साहब (Takht Sri Harmandir Sahab) जाने का कार्यक्रम बना था और पटना के प्रमुख पहचान चिन्हों से गुजरते, पटना सिटी के आटो और ठेलों से बचते बचाते करीब डेढ़ घंटे की सड़क यात्रा कर हम इस गुरुद्वारे के सामने थे।
- मैने सोचा कि हरमंदिर साहब कहने से मैं ' लोकल' माना जाऊंगा और मुझे ठगने की कोशिश नहीं की जायेगी!) वह बोला, “तीस रुपये।“ मेरी जानकारी के अनुसार यह राशि बिल्कुल जायज़ थी पर मैं हिंदुस्तानी हूं और पंकज मेरे साथ हो या न हो, दोस्त तो उसी का हूं, अतः बोला, “क्या बात कर रहे हो? मैं कोई बाहर का थोड़ा ही हूं ।
- स्वर्ण मंदिर परिसर में लगभग दो-ढाई घंटे परिक्रमा पथ पर घूमते फिरते मैं अनिर्वचनीय सुख का अनुभव करता रहा! निस्सीम शांति, चिन्ता-विहीन मन, एक अबूझ सी प्रसन्नता! हरमंदिर साहब में प्रवेश उस समय बन्द हो चुका था, अतः वहां परिक्रमा पथ के छोरों पर बनी हुई छबील, ऐतिहासिक पेड़ “बेरी बाबा बुढ्ढा साहिब” आदि के दर्शन करता रहा, उन पर लिखे हुए विवरण को पढ़ता रहा।
- एक बार पवित्र हरमंदिर साहब की शान में आतंकियों और सुरक्षा बलों की तरफ से गुस्ताखी की जा चुकी है अब उसे दोहराने की ज़रुरत नहीं है जिन पर धर्म को बचाए रखने का ज़िम्मा है कम से कम वे तो सही तरह का बर्ताव करें और आम लोगों को इस तरह के माहौल में झोंकने का काम न ही करें तो अच्छा रहेगा. मेरी हर धड़कन भारत के लिए है...
- उससे पहले अकालियों द्वारा जिस तरह से धर्म का दुरूपयोग राजनीति में किया गया क्या वह सही था? इन अकालियों को रोकने के लिए इंदिरा गाँधी ने जिस तरह से भिंडरावाले को बढ़ावा दिया क्या वह ठीक था? पवित्र हरमंदिर साहब की गरिमा को सभी पक्षों द्वारा जिस तरह से खून से रंगा गया क्या वह ठीक था? इन सब बातों के उत्तर किसी को नहीं मिल सकते क्योंकि हम सभी को केवल अपने पहलू से ही सब कुछ देखने की आदत बन चुकी है.