हिन्दूकुश वाक्य
उच्चारण: [ hinedukush ]
उदाहरण वाक्य
- यह प्रदेश भारतवर्ष के उत्तार में है, और हिन्दूकुश से तिब्बत तक फैला हुआ है, इसी के अन्तर्गत, सुमेरु तथा कैलास जैसे पुराण-प्रसिध्द पर्वत और मानसरोवर समान प्रशंसित महासरोवर है।
- वर्तमान पिशाच भाषा के बोलने वाले दक्षिण में काबुल नदी के पास और उत्तार पश्चिम हिमालय की नीची श्रेण् 0 श्निायों में और उत्तार में हिन्दूकुश एवं मुस्तरा श्रेणियों के बीच में रहते हैं।
- जबकि हिन्दूकुश के उत्तर-पूर्व का क्षेत्र ताजिक लोगों का और उत्तर-पश्चिमी हिस्सा उजबेगों का है इनके अलावा हजारा कबीला भी है ये लोग शिया है व मूलतः व्यापारी है जो पूरे अफगानिस्तान में बसे हैं।
- कम्बोज: प्राचीन संस्कृत साहित्य में कंबोज देश या यहाँ के निवासी कांबोजों के विषय में अनेक उल्लेख हैं जिनसे जान पड़ता है कि कंबोज देश का विस्तार स्थूल रूप से कश्मीर से हिन्दूकुश तक था।
- में गिलगिट के पश्चिम और हिन्दूकुश पर्वत के दक्षिण में स्थित चित्राल रियासत में उत्तराधिकारी के प्रश्न पर अनावश्यक रीति से हस्तक्षेप किया, जिसके फलस्वरूप उसे पश्चिमोत्तर प्रदेश में लम्बा और ख़र्चीला युद्ध चलाना पड़ा।
- हिन्दूकुश अरवेला के मैदान में विजय प्राप्त कर जब वह हिन्दूकुश पर्वत श्रखला पार कर हिन्दू भारत में पदार्पण करता है तो सर्वप्रथम तक्षशिला नरेश अम्भि और एक अन्य नरेश शशिगुप्त जैसे देशद्रोही राजा उसका स्वागत करते हैं।
- हिन्दूकुश अरवेला के मैदान में विजय प्राप्त कर जब वह हिन्दूकुश पर्वत श्रखला पार कर हिन्दू भारत में पदार्पण करता है तो सर्वप्रथम तक्षशिला नरेश अम्भि और एक अन्य नरेश शशिगुप्त जैसे देशद्रोही राजा उसका स्वागत करते हैं।
- बाबर ने अपनी किताब में कहा है कि सन 1504 ई में बर्फीले तूफान के बीच अपने तीन सौ साथियों के साथ मातृभूमि फरगाना से चलकर हिन्दूकुश पर्वत को पार करते हुए उसने काबुल में प्रवेश किया और खुद को वहां का शासक घोषित कर दिया।
- चोटीला या बरड़ा, शेत्रुंजा या गिरनार पर्वत भला पानी देगा भी तो कितना देगा? और उनकी लड़कियां भी खींच-खींचकर आखिर कितना पानी लायेंगी? नीलगिरि और सह्याद्रि, सतपुड़ा और विंध्याद्रि, हिन्दूकुश और हिमालय, नागा, खासी और ब्रह्मी योमा जैसे समर्थ पर्वतराजा को ही बादलों का मुख्य करभार मिलता है।
- ठीक इसी आधार पर यह निष्कर्ष भी निकाला गया है (प्रा. ह. रा. दिवेकर, 1970) कि जिसे हम आज हिन्दूकुश पर्वत कहते हैं वही कभी मूजवान रहा होगा और हम इन्दुओं के सोमप्राप्ति के लिए वहां बार-बार जाने के कारण उसका नाम इन्दु के साथ जुड़ गया होगा।