हुल्लड़ मुरादाबादी वाक्य
उच्चारण: [ huleld muraadaabaadi ]
उदाहरण वाक्य
- ऑफ हुल्लड़ मुरादाबादी हुल्लड़ मुरादाबादी 1635हर साल की तरहबुद्धिराजा773गांठहृदयेश 4564कवि कविता और घरवाली बुलाकी शर्मा787हत्या एक आकार कीहृदयेश 4498दुर्घटना के ईर्द गिर्दबुलाकी शर्मा4696भिक्षु की बेटी हेजेल लेलिन, सन्मार्ग 4174विशुद्ध चेतना और प्रक्रिया लोक जीवनबृज बिहारी सहाय2228चीफ
- अब पहले जैसे हास्य कवि तो नहीं रहे जैसे काका हाथरसी, हुल्लड़ मुरादाबादी, शैल चतुर्वेदी और ॐ प्रकाश आदित्य जी, जो महज़ अपनी हास्य कविताओं से खूब हंसाते थे, गुदगुदाते थे.
- इनके अलावा सुप्रित रैना, पकंज बैरी, तनुश्री कौशिक, सीमा तांबे, नवनीत हुल्लड़ मुरादाबादी, सोनम अरोड़ा, कैनाज़, ऐजे़ल रैना और राजश्री रानी आदि कलाकार भी अहम भूमिकाएं भी निभा रहे हैं।
- धर्मयुग चूँकि उस वक़्त की लोकप्रिय पत्रिका थी इसलिए प्रतिष्ठित हास्य कवियों काका हाथरसी, हुल्लड़ मुरादाबादी, शैल चतुर्वेदी, ओम प्रकाश आदित्य व प्रदीप चौबे की ताज़ा कविताओं को पढ़ने का मौका हमें मिल जाया करता था।
- वे बोले कि ” सन १ ९९ ४ में जब डा अवस्थी, हुल्लड़ मुरादाबादी, माधवी लता एवं राम रतन शुक्ल जी अमेरिका आए तब न्यू यार्क के जान एफ केनेडी एयरपोर्ट पर मैं उन्हें रिसीव करने पहुँचा।
- पर वे हँसते खिलखिलाते पहले ही निकल गए और स्टेशन पर हुआ उल्टा ही. नंदन जी वाली ट्रेन ‘ लेट ' हो गई और शैल चतुर्वेदी व हुल्लड़ मुरादाबादी आदि एकदम विरोधी प्लेटफोर्म पर उतरते नज़र आए.
- उत्तर-काका हाथरसी बहुत सीनियर थे, मेरे से थोड़े समय पहले हुल्लड़ मुरादाबादी जी आए, शैल चतुर्वेदी जी आए मानिक वर्मा जी थे, ओम प्रकाश आदित्य जी थे, मंच तो काकाजी के साथ भी साझा किया
- अटलबिहारी बाजपेयी, प्रभा ठाकुर, सोम ठाकुर, उदय प्रताप सिंह, काका हाथरसी, बृजेन्द्र अवस्थी, गोपाल दास नीरज, हुल्लड़ मुरादाबादी, अशोक चक्रधर और मंचीय कविओं की मुख्यधारा के तकरीबन सभी कवि इन कवि सम्मेलनों की शोभा बढ़ा चुके हैं।
- जा रहा बाजार में थैला लिए तू रोज ही क्यों सर मुंडाना चाहता है यह व्यवस्था खून पी लेगी तुम्हारा शेर को कॉफ़ी पिलाना चाहता है व्यंग्य के ये शेर सुनकर लोग बोले क्यों हमारे कान खाना चाहता है-हुल्लड़ मुरादाबादी (अ) कवि बनाम दूरदर्शन
- लिहाजा यह कूडा़ / कविता अनूप भार्गव की मांग पर तथा हुल्लड़ मुरादाबादी की ‘अहा! जिंदगी' पत्रिका के होली अंक में छपी कविता जरूरत क्या थी से प्रेरणा लेकर लिखी जा रही है:-सच है कि ब्लाग में कूड़ा ही लिखते हैं अधिकतर लोग लेकिन यह सच सबको बताने की जरूरत क्या थी? [...]