हृदयेश्वर वाक्य
उच्चारण: [ herideyeshevr ]
उदाहरण वाक्य
- ) अरे! मेरे प्राणेश्वर नल कौन है, यह कैसे जानूँ? कौन देवता हैं, कौन मेरे हृदयेश्वर हैं, यह कैसे पहचानूँ? (ठिठक जाती है, फिर अपनी अंगुलियों को अपने वक्षस्थल पर स्थापित कर दीर्घश्वांस भरती हुई कहने लगती है) बन्द करो मेरे दुर्भाग्य, यह नंगा नाच!
- बुद्धिनाथ मिश्र के दो, ‘ जाल फेंक रे मछेरे ' तथा ‘ शिखरणी ', यशोधरा राठौर के तीन, ‘ उस गली के मोड़ पर ', ‘ जैसे धूप हँसती है ' एवं ‘ भरेंगे परवाज के पैगाम अक्षर ' और उदय शंकर सिंह उदय के दो ‘ धूप में चलते हुए ' और ‘ गीत फिर परचम हुए ' तथा हृदयेश्वर के तीन ‘ आँगन के इच-बीच ', ‘ बस्ते में भूगोल ' और ‘ यह देती धूप ' अब तक प्रकाशित हो चुके हैं।