ह्युस्टन वाक्य
उच्चारण: [ heyusetn ]
उदाहरण वाक्य
- स्पेस शटल मिशन को सफलता से संचालित कतरने और अंतरिक्षयात्रियों को सुरक्षित वापस ले आने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती थी फ्लाइट डायरेक्टर की जो अपनी टीम के साथ नासा के ह्युस्टन कंट्रोल रूम से मिशन की कमान संभालते थे ।
- ” अमरिकन संस्कृत इन्स्टीट्यूट ” न्यु-योर्क के महा-नगर में, १ ९ ८ ९ में प्रारंभ हुआ था, जो संस्कृत शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत है ; जिस के निर्देशक है, संस्कृत भक्त ” प्रो. व्यास ह्युस्टन ” ।
- (१) भव्य ब्रह्मांडीय संगीत देववाणी संस्कृत भाषा को, भव्य ब्रह्मांडीय संगीत ” A Cosmic Grand Opera इन शब्दों में वर्णन करने वाले विद्वान व्यक्ति कोई भारतीय नहीं, पर ” अमरिकन संस्कृत इन्स्टीट्यूट ” के निर्देशक प्रो. व्यास ह्युस्टन है।
- ह्युस्टन यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट आफ अर्थ एंड एटमॉस्फियरिक साइंसेज के प्रोफेसर विलियम सागर के मुताबिक ' टैमू मैसिफ ' को बनाने वाले बासाल्ट की भारी-भरकम मात्रा को देखने से पता चलता है कि ये केंद्र में मौजूद एक ही रास्ते से बाहर आए हैं।
- आर्थर मिलर एक नहीं, एक के बाद एक अपने किरदारों से कैसी दिलअज़ीज़ लाइनें बुलवाते रहते हैं, फ़िल्म तक़लीफ़ और सिनेमाई सुख के कैसे नशीले कॉकटेल में आपकी पलकों पर गिरी रहती है, कैसे कोई जॉन ह्युस्टन बुढ़ाये गेबल के साथ कोई ‘मिसफिट्स ' बना लेता है?
- इतिहास मे भारतवासी गाय का मांस खाते थे आज भी वर्णित है जिसे नहीं हटाया | जिस देश में गौ रक्षा आंदोलन चले मंगल पांडे अँग्रेज मेजर ह्युस्टन को गोली गाय के चर्बी मिले कारतूस के कारण गोली मारी हो उस देश के लोग गाय का मांस कैसे खा सकते है |
- पर, मैं ने आज तक किसी भी संस्कृतज्ञ के लेखन में या भाषण में व्यास ह्युस्टन के कथन जैसा गूढ सत्य, जो विचार करने पर सहज बुद्धि गम्य ही नहीं पर ग्राह्य भी प्रतीत हो, ऐसे परम सत्य को परिभाषित करनेवाला विधान सुना नहीं था, या पढा नहीं था।
- विदेश से काला धन वापस लाने के लिए स्वामी रामदेव रात दिन अपने योग शिविर के माध्यम से अलख जगा रहे हैं लेकिन खुद स्काटलैंड में दान मे मिले आइसलैंड को योग हेरिटेज़ के रुप मे विकसित कर रहे है जिससे डालर / पाउंड कमाया जा सके इसके अलावा उनके पास ह्युस्टन मे भी दान मे मिली सम्पदा है।
- फिर और एक महत्व पूर्ण सत्य का स्फोट प्रो. ह्युस्टन करते हैं ; वे कहते हैं, कि उन--” ऋषियों ने उन्हीं ध्वनियों को भाषा के लिए चुना, जिनकी परिपूर्णता के विषय में कोई संदेह नहीं था ; और जिन में शुद्धता थी, स्पष्टता थी, निःसंदिग्धता थी, और अनुनाद क्षमता थी।
- आगे व्यास ह्युस्टन कहते हैं, कि, इन प्राचीन भारतीय ऋषियों ने, एकाग्रता से, ध्यान दे कर, बार बार मुख से अलग अलग ध्वनियों का उच्चारण करते हुए, जानने का प्रयास किया, कि ध्वनि मुख-विवर के, किस सूक्ष्म अंग से, कैसे और कहाँ से जन्म लेती है? उन्हों ने मुख-विवर का वैज्ञानिक अध्ययन किया, और ध्वनियों के मूल स्थानों को ढूंढ निकाला।