.भारत वाक्य
उच्चारण: [ .bhaaret ]
उदाहरण वाक्य
- क्या कारन है, सब साक्ष्य होने पर भी पाकिस्तान को खुले हाथ से पैसा देता है, जिसका प्रयोग पाकिस्तान करता आरहा है.भारत के विरुद्ध.जिस कारन पाक का विकासनहीं हो पता है .भारत भी इन समस्याओं में उलझा रह कर यथोचित विकास नहीं कर पाता
- शहीद-ए-आजम भगत सिंहभारत माता जब रोती थी, जंजीरों में बंध सोती थी.पराधीनता की कड़ियाँ थीं,जकड़ी बदन पर बेड़ियाँ थीं.देश आँसुओं में रोता था,ईस्ट इंडिया को ढ़ोता था .भारत का शोषण होता था,नैसर्गिक संपत्ति खोता था.दुर्दिन के दिन गिनता था,हर साल अकाल को...
- भारत ने ताईवान पर अपना रूख स्पष्ट किया पेइचिंग 14 जनवरी. वार्ता .भारत ने ताईवान पर अपना रूख स्पष्ट करते हुए आज कहा कि चीन एक ही है और वह इस सिद्धान्त का पालन जारी रखेगा तथा इसके खिलाफ किसी तरह की गतिविधि का विरोध करेगा
- रेणु के कथा-शिल्प और उनके भाषा सम्बन्धी प्रयोग के संबंध में बहुत कुछ लिखा गया है (खासकर देखें केथरीन हानसेन और इंदु प्रकाश पाण्डेय .भारत यायावर ने महज रेणु रचनावली मुहैया करने के साथ साथ रेणु को पढ़ने और गुणने के रास्ते भी दिखाये हैं.
- वर्तमान से भविष्य तक की धारा है ये. .भारत के शरीर की, शिरा और धमनियां हैं ये जो देखतीं हैं, कलकत्ता जैसे शहर को बस्ती से भरे हुए, उप नगर और नगर, जहाँ, आबाद हैं, हर तरह के प्राणी, जहाँ उन का बसेरा है।
- शहीद-ए-आजम भगत सिंह 1भारत माता जब रोती थी, जंजीरों में बंध सोती थी.पराधीनता की कड़ियाँ थीं,जकड़ी बदन पर बेड़ियाँ थीं.देश आँसुओं में रोता था,ईस्ट इंडिया को ढ़ोता था .भारत का शोषण होता था,नैसर्गिक संपत्ति खोता था.दुर्दिन के दिन गिनता था,हर साल अकाल
- सबके मन में आशा की किरण है,,विश्वास की सुपरिचित रेखा भी .भारत के कई राज्यों का समय समय पर दौरा करने का अवसर मिला है,परन्तु १९-२० मार्च को जो दृश्य हिमाचल विधान सभा में मैंने देखा,वो कही नहीं दिखा,,शायद दिल्ली की संसद में भी नहीं.
- शहीद-ए-आजम भगत सिंह 1भारत माता जब रोती थी, जंजीरों में बंध सोती थी.पराधीनता की कड़ियाँ थीं,जकड़ी बदन पर बेड़ियाँ थीं.देश आँसुओं में रोता था,ईस्ट इंडिया को ढ़ोता था .भारत का शोषण होता था,नैसर्गिक संपत्ति खोता था.दुर्दिन के दिन गिनता था,हर साल अकाल...
- शहीद-ए-आजम भगत सिंह 1भारत माता जब रोती थी, जंजीरों में बंध सोती थी.पराधीनता की कड़ियाँ थीं,जकड़ी बदन पर बेड़ियाँ थीं.देश आँसुओं में रोता था,ईस्ट इंडिया को ढ़ोता था .भारत का शोषण होता था,नैसर्गिक संपत्ति खोता था.दुर्दिन के दिन गिनता था,हर साल अकाल को...
- शहीद-ए-आजम भगत सिंह 1भारत माता जब रोती थी, जंजीरों में बंध सोती थी.पराधीनता की कड़ियाँ थीं,जकड़ी बदन पर बेड़ियाँ थीं.देश आँसुओं में रोता था,ईस्ट इंडिया को ढ़ोता था .भारत का शोषण होता था,नैसर्गिक संपत्ति खोता था.दुर्दिन के दिन गिनता था,हर साल अकाल को