अचैतन्य उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- नियम जड़, अचैतन्य होते हंह उनमें कपट के भाव कहाँ? इन नियमों का संचालक, इस इंद्रजाल का मदारी अवश्य है, यह स्पष्ट है ; किन्तु वह प्राणी देवता नहीं, पिशाच है।
- एक अन्य अनुमान के अनुसार एक व्यक्ति के बाद दुसरे को जो उबासी आती है वो एक प्रकार का मूक वार्तालाप होता है जो अचैतन्य मस्तिष्क के द्वारा की गई एक क्रिया है जिससे मनुष्य की झुंड या समूह की परवर्ती प्रर्दशित होती है.
- रोगी को पतला दस्त आ रहा हो, नाक से खून बह रहा हो और रोग के तीसरे सप्ताह में शरीर में दाने नहीं निकलना, नींद न आना, अचैतन्य भाव उत्पन्न हो तो उपचार करने के लिए इसकी 6 शक्ति का प्रयोग करने से लाभ मिल सकता है।
- इन दोनों में प्रथम संकल्प शक्ति की आवश्यकता हुई, क्योंकि बिना उसके चैतन्य का आविर्भाव नहीं होता और बिना चैतन्य के परमाणु का उपयोग किसलिए होता? अचैतन्य सृष्टि तो अपने में अचैतन्य थी, क्योंकि न तो उसको किसी का ज्ञान होता और न उसका कोई उपयोग होता है।
- इन दोनों में प्रथम संकल्प शक्ति की आवश्यकता हुई, क्योंकि बिना उसके चैतन्य का आविर्भाव नहीं होता और बिना चैतन्य के परमाणु का उपयोग किसलिए होता? अचैतन्य सृष्टि तो अपने में अचैतन्य थी, क्योंकि न तो उसको किसी का ज्ञान होता और न उसका कोई उपयोग होता है।
- चूंकि कोई अचैतन्य वस्तु चल नहीं सकती, उसे चलाने के लिए एक माध्यम की जरूरत पडती है (उदाहरण के लिए, कुल्हाड़ी तभी चलती है जब कोई उसे चलाता है), और चूंकि कर्म का नियम एक गैर-बुद्धिमान और अचैतन्य नियम है, इसीलिए शंकर का तर्क है कि ऐसे में एक सचेत भगवान होना ही चाहिए जो व्यक्तियों के अपने किये गये कार्यों के गुण और दोष के बारे में जानता है, और व्यक्तियों को उपयुक्त फल दिलाने में जो सहायक के रूप में काम करता है.
- चूंकि कोई अचैतन्य वस्तु चल नहीं सकती, उसे चलाने के लिए एक माध्यम की जरूरत पडती है (उदाहरण के लिए, कुल्हाड़ी तभी चलती है जब कोई उसे चलाता है), और चूंकि कर्म का नियम एक गैर-बुद्धिमान और अचैतन्य नियम है, इसीलिए शंकर का तर्क है कि ऐसे में एक सचेत भगवान होना ही चाहिए जो व्यक्तियों के अपने किये गये कार्यों के गुण और दोष के बारे में जानता है, और व्यक्तियों को उपयुक्त फल दिलाने में जो सहायक के रूप में काम करता है.