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खारिजी उदाहरण वाक्य

खारिजी अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. उन खारिजी इशारों ही ने उस पर एक अज़ली और अबदी हक़ीक़त को मुन्कशिफ़ किया था: हुस्न, इश्क़ और मौत-इस तस्लीम के तमाम उक़लीदिसी ज़ाविये सिर्फ उन तीन गोलों की मदद से उस की समझ में आए थे.
  2. ग़ज़ल की बनावट दो प्रकार की होती है-1 खारिजी (बाहरी स्वरुप) 2. दाखिली (ग़ज़ल का आंतरिक स्वरुप) इसके बाहरी स्वरुप से तात्पर्य-छंद, मीटर, काफिया, रदीफ, बंदिश, भाषा और शैली से है ।
  3. 69. एक खारिजी के मुतअल्लिक़ (बारे में) आप ने सुना कि वह नमाज़े शब पढ़ता है और कुरआन की तिलावत करता है तो आप ने फरमायाः यक़ीन (विश्वास) की हालत में सोना शक (शंका) की हालत में नमाज़ पढ़ने से बेहतर है।
  4. यह सुनकर मैंने महसूस किया था कि मीराजी की जलालत अब इस इन्तहा को पहुँच गयी है कि उसे खारिजी ज़राए की इमदाद तलब करनी पड़ गयी है-अच्छा हुआ जो वह जल्दी मर गया क्योंकि उसकी ज़िन्दगी के खराबे में और ज्यादा खराब होने की गुंजाइश नहीं रही थी.
  5. ऐसे लोगों को पहले ख्वारिज या खारिजी (इस्लाम से निकल जाने वाले) कहा जाता था, और आज उन्हें वहाबी कहा जाता है, हालांकि वो अपने आपको सल्फ़ी (इस्लाम के बुनियादी सिद्धांत में विश्वास रखने वाले जिस पर मुसलमानों की पहली पीढ़ी ने अमल किया था) और मोहिद (खुदा के एक होने में दृढ़ विश्वास रखने वाले) कहलाने को प्राथमिकता देते हैं।
  6. हममें से बेहतर की शायरी किसी दाखली या खारिजी मुहर्रक (आंतरिक या बाह्य प्रेरक) की दस्ते-निगर (आभारी) होती है और अगर उन मुहर्रिकात की शिद्दत (तीव्रता) में कमी आ जाए या उनके इज़हार (अभिव्यक्ति) के लिए कोई सहल रास्ता पेशेनज़र न हो तो या तो तजुर्बात को मस्ख़ (विकृत) करना पड़ता है या तरीके-इज़हार को।
  7. जब आरोपी ही जज हो तो फैसला क् या होगा, वही हुआ आवेदक के आवेदन को अधिनियम में प्रावधानित कोई भी कार्यवाही किये बगैर सीधे ही 10 एवं 11 जनवरी (दो भिन् न आदेश) 2007 को खारिजी आदेश जारी कर आवेदक को सूचना दिये जाने से अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) की शक्ति की आड़ लेकर खारिज कर दिया ।
  8. अपनी पुस्तक “नक्शे-फ़रियादी” की भूमिका में ये कहते हैं: “आज से कुछ बरस पहले एक मुअय्यन जज़्बे (निश्चित भावना) के ज़ेरे-असर अशआर (शे'र) ख़ुद-ब-ख़ुद वारिद (आगत) होते थे, लेकिन अब मज़ामीन (विषय) के लिए तजस्सुस (तलाश) करना पड़ता है...हममें से बेहतर की शायरी किसी दाखली या खारिजी मुहर्रक (आंतरिक या बाह्य प्रेरक) की दस्ते-निगर (आभारी) होती है और अगर उन मुहर्रिकात की शिद्दत (तीव्रता) में कमी आ जाए या उनके इज़हार (अभिव्यक्ति) के लिए कोई सहल रास्ता पेशेनज़र न हो तो या तो तजुर्बात को मस्ख़ (विकृत) करना पड़ता है या तरीके-इज़हार को।
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