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रविवारीय अंक उदाहरण वाक्य

रविवारीय अंक अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. 2003 की गर्मियों में एक रविवार को जनसत्ता का रविवारीय अंक पढ़ते हुए मेरी नज़र संतोष चौबे की इस कविता पर पड़ी थी, और तब से मानों यह कविता मेरे दिमाग मे घूमते ही रहती है ना जानें क्यों...।
  2. 2003 की गर्मियों में एक रविवार को जनसत्ता का रविवारीय अंक पढ़ते हुए मेरी नज़र संतोष चौबे की इस कविता पर पड़ी थी, और तब से मानों यह कविता मेरे दिमाग मे घूमते ही रहती है ना जानें क्यों... ।
  3. ऐसा संभवतः इसलिए है कि अनुवादक ने विभिन्न प्रवृत्तियों के प्रतिनिधित्व की दृष्टि से कवियों और कविताआें का चयन नहीं किया है, बल्कि ‘विशेषकर पिछले २००७ से २००९ के बीच (यानि तीन वर्ष) एक रविवारीय अंक में छपी कविताआें को उन्होंने चुना है।
  4. दोनों से बातचीत के बाद पूरे ब्यौरे को संवाद परिक्रमा नाम की उस समय की सबसे ज्यादा प्रकाशित होने वाली फीचर एजेंसी के जरिए जब मैंने अपना राइट-अप जारी कराया तो वह दैनिक जागरण सहित हिंदी के कई प्रमुख समाचारपत्रों के रविवारीय अंक की आमुख कथा बनी।
  5. संतोष चौबे की एक कविता…आना जब मेरे अच्छे दिन हों… 2003 की गर्मियों में एक रविवार को जनसत्ता का रविवारीय अंक पढ़ते हुए मेरी नज़र संतोष चौबे की इस कविता पर पड़ी थी, और तब से मानों यह कविता मेरे दिमाग मे घूमते ही रहती है ना जानें क्यों...।
  6. दैनिक जागरण के १३ दिसम्बर २००९ रविवारीय अंक के फ़ूड यात्रा कालम में ज्ञान दर्पण पर जोधपुर के मिर्ची बड़ों पर लिखे लेख को जगह दी गयी | इससे पहले भी अगस्त में ज्ञान दर्पण के लेख जहाँ मन्नत मांगी जाती है मोटर साईकल से दैनिक जागरण प्रकाशित किया गया था |मजेदार और काम के लेख ताऊ डॉट इन: “राज ब्लागर के पिछले जन्म के” खुशदीप ने फ़ंसाया
  7. प्रस् तुत है उनकी एक छोटी-सी कविता-स् पर्श मेरे हाथ तुम् हारे होने के परदों को खोलते हैं और अगली किसी नग् नता में कपड़े पहनाते हैं तुम् हारी देह से देहों को निर्वसन करते हैं मेरे हाथ तुम् हारी देह के लिए एक नई देह ईजाद करते हैं (राजस्थान पत्रिका के रविवारीय अंक में २ ३ अगस्त, २ ०० ९ को प्रकाशि त.)
  8. दैनिक जागरण के १३ दिसम्बर २००९ रविवारीय अंक के फ़ूड यात्रा कालम में ज्ञान दर्पण पर जोधपुर के मिर्ची बड़ों पर लिखे लेख को जगह दी गयी | इससे पहले भी अगस्त में ज्ञान दर्पण के लेख जहाँ मन्नत मांगी जाती है मोटर साईकल से दैनिक जागरण प्रकाशित किया गया था | मजेदार और काम के लेख ताऊ डॉट इन: “राज ब्लागर के पिछले जन्म के” खुशदीप ने फ़ंसाया ताऊ को क्या आप मोटापे व बढ़ते वजन से परेशान है?
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