त्वक् उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
- मनुष्य शरीर में ये अस्थि, मेदा, मांस, अवृक और त्वक् के रूप में विद्यमान हैं।
- स्थानीय लेप के रूप में बाह्य रक्तसस्राव में तथा व्रणों में पत्र स्वरस या त्वक् चूर्ण का प्रयोग करते हैं ।
- जल पर्याप्त मात्रा में मिलने पर त्वक् शुष्कता, प्यास, अंत:स्रावों की उत्पत्ति में अवरोध तथा रक्तपरिसंचरण में बाधा नहीं हो पाती।
- जल पर्याप्त मात्रा में मिलने पर त्वक् शुष्कता, प्यास, अंत:स्रावों की उत्पत्ति में अवरोध तथा रक्तपरिसंचरण में बाधा नहीं हो पाती।
- इसके सभी भाग-फल, रस, बीज, त्वक् पत्र, मूल, डंठल-तैल ओषधियों तथा अन्य कामों में प्रयुक्त होते हैं।
- नवायस चूर्ण (च.) सौंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल हरड़, बहेड़ा, आंवला, मोथा, बायबिडंग और चित्रकमूल-~ त्वक् समभाग लें, सूक्ष्म चूर्ण बना वस्त्रपूत कर लें.
- पत्र, त्वक् (छाल), फल, बीज, दुग्ध, लाख और दाढ़ी के रूप में प्रयुक्त होता है ।
- चेता तंत्रिकाजन्य दर्द: वर्तुलाकार दाद,लाइम रोग मेंनाड़ी मूल में सूजन, ऊदर की ऊपरी तंत्रिका के विकार, त्वक् कील, मेरुरज्जु अपजनन
- नाम: तज को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे-बहुगन्ध, लट् वर्ण, तज, त्वक्पत्र, धनप्रिय तथा त्वक् आदि।
- निर्धारणानुसार उपयोग-(1) श्वेत प्रदर में अशोक त्वक् चूर्ण एवं मिश्री समभाग में गाय के दूध के साथ प्रातः-सायं देते हैं ।