आपस्तम्बधर्मसूत्र वाक्य
उच्चारण: [ aapestembedhermesuter ]
उदाहरण वाक्य
- आपस्तम्बधर्मसूत्र * ने दूसरा अर्थ लिया है।
- यही बात आपस्तम्बधर्मसूत्र * में भी पायी जाती है।
- आपस्तम्बधर्मसूत्र 2 / 9 / 23 / 3-6. 3.
- -आपस्तम्बधर्मसूत्र-2 / 9 / 24 / 6. 1. ऋग्वेदं भगवो % ध्येमि यजुर्वेदं सामवेदमाथर्वणं ।
- आपस्तम्बधर्मसूत्र * ने सभी वर्णों के लिए भेड़ का चर्म (उत्तरीय के लिए) या कम्बल विकल्प रूप से स्वीकार कर लिया है।
- आपस्तम्बधर्मसूत्र * के अनुसार ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य ब्रह्मचारी के लिए वस्त्र क्रम से पटुआ के सूत का, सन के सूत का एवं मृगचर्म का होता था।
- * आपस्तम्बगृह्यसूत्र एवं आपस्तम्बधर्मसूत्र *, हिरण्यकेशिगृह्यसूत्र * एवं वैखानस के मत से तीनों वर्णों के लिए क्रम से शुभ मुहूर्त पड़ते हैं वसन्त, ग्रीष्म एवं शरद् के दिन।
- [12] आपस्तम्ब *, शांखायन *, बौधायन *, भारद्वाज * एवं गोभिल * गृह्यसूत्र तथा याज्ञवल्क्य *, आपस्तम्बधर्मसूत्र * स्पष्ट कहते हैं कि वर्षों की गणना गर्भाधान से होनी चाहिए।
- * आपस्तम्बधर्मसूत्र * एवं बौधायन गृह्यसूत्र ' * ने आध्यात्मिक महत्ता, लम्बी आयु, दीप्ति, पर्याप्त भोजन, शारीरिक बल एवं पशु के लिए क्रम से 7 वाँ, 8 वाँ, 9 वाँ, 10 वाँ, 11 वाँ एवं 12 वाँ वर्ष स्वीकृत किया है।
- मनु * ने पारस्करगृह्यसूत्र एवं आपस्तम्बधर्मसूत्र * [19] की भाँति ही नियम कहे हैं किन्तु विकल्प से कहा है कि क्षत्रियों के लिए मूँज तथा लोह से गुंथी हुई हो सकती है तथा वैश्यों के लिए सूत का धागा या जुए की रस्सी या तामल (सन) की छाल का धागा हो सकता है।
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