कैवल्योपनिषद वाक्य
उच्चारण: [ kaivelyopenised ]
उदाहरण वाक्य
- कैवल्योपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है।
- कैवल्योपनिषद में कैवल्य अर्थात ब्रह्म की प्राप्ति या जीवन का अंतिम सत्य प्राप्त करने के बारे में कई बातों का उल्लेख किया गया है जिसके अनुसार ब्रह्म ही सृष्टिकर्ता है उसे जानकर संपूर्ण सृष्टि आनंद प्राप्त करते है.
- कैवल्योपनिषद में यः शतरुद्रियमधीते सोऽग्निपूतो भवति ' इत्यादि वचनों द्वारा ' शत-रुद्रिय ' के पाठ से अग्नि, वायु, सुरापान, ब्रह्महत्या, सुवर्ण चोरी, कृत्य एवं अकृत्य से पवित्र होने तथा ज्ञानप्राप्ति पूर्वक कैवल्यपद प्राप्ति तक का फल होता है, जबकि जावालोपनिषद् में कुछ ब्रह्मचारी महर्षि याज्ञवल्क्य से पूछते हैं कि '' किसका जप करने से अमृतत्व प्राप्त होता है? '' इस प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा-' शतरुद्रियेणेत्येतान्येव हवा अमृतस्य नमानि एतैही वा अमृतो भवतीति।