क्षेमराज वाक्य
उच्चारण: [ kesemeraaj ]
उदाहरण वाक्य
- क्षेमराज के निम्नलिखित ग्रंथ प्रसिद्ध हैं:
- क्षेमराज ने कहा है “यदि निर्विमर्श: स्यात् अनीश्वरो जडश्च प्रसज्यते (पराप्रावेशिका, प्र.
- उसकी मृत्यु के बाद सिंहासन उसके पितृव्य क्षेमराज के प्रपौत्र कुमारपाल को मिला।
- यहां के महान मनीषीयों में पतञ्जलि, दृढबल, वसुगुप्त, आनन्दवर्धन, अभिनवगुप्त, कल्हण, क्षेमराज आदि हैं।
- क्षेमराज ने विमर्श को “अकृत्रिममाहम इति विस्फुरणम्” (पराप्रावेशिका, पृ.2) स्वाभाविक अहं रूपी स्फुरण कहा है।
- आचार्य अभिनवगुप्त के एक और शिष्य क्षेमराज का नाम आता है जिन्होंने शैवदर्शन पर कई रचनाएं लिखी हैं।
- यहां के महान मनीषीयों में पतञ्जलि, दृढबल, वसुगुप्त, आनन्दवर्धन, अभिनवगुप्त, कल्हण, क्षेमराज आदि हैं।
- कुछ विद्वान क्षेमेन्द्र और क्षेमराज को एक ही व्यक्ति मानते हैं, जबकि कुछ इन दोनों को भिन्न व्यक्ति मानते हैं।
- किंतु क्षेमराज औरस पुत्र नहीं था, इसलिए जयसिंह ने अपने मंत्री उदयन के पुत्र बाहड को अपना दत्तक पुत्र बनाया था।
- क्षेमराज के निम्नलिखित ग्रंथ प्रसिद्ध हैं: शिवसूत्रविमर्शिनी, स्वच्छंद तंत्र, विज्ञानभैरव और नेत्रतंत्र पर उद्योत टीका, प्रत्यभिज्ञाहृदय स्पंदसंदोह, स्पंदनिर्णय, पराप्रावेशिका, तत्वसंदोह और शिवस्तोत्रावली पर “स्तवचिंतामणि” टीका।
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