डल्हण वाक्य
उच्चारण: [ delhen ]
उदाहरण वाक्य
- सुश्रुत की टीका में डल्हण ने लिखा है-अलर्को मन्दारकः यस्य क्षीरं न विनश्यति ।
- डल्हण के अनुसार-सूक्ष्म पुरुष और पञ्चमहाभूतों का संयोग ही आयुर्वेद में ' षड्धातुज ' पुरुष कहा गया है ।
- डल्हण ने काश्यप मुनि के नाम से उनका एक वचन उद्धृत किया है, जिसके अनुसार शिरा आदि में अग्निकर्म निषिद्ध है।
- डल्हण ने काश्यप मुनि के नाम से उनका एक वचन उद्धृत किया है, जिसके अनुसार शिरा आदि में अग्निकर्म निषिद्ध है।
- आचार्य डल्हण ने इसका स्पष्टीकरण करते हुए लिखा है-हृदय में जो पित्त या द्रव्य विशेष होता है, वह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थ का साधन करने वाला होने से, उसे साधक पित्त या साधकाग्नि की संज्ञा दी गई है ।।